Delhi: आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) ने दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के वार्डों के परिसीमन (Dilimitation) पर अपने सुझाव और आपत्तियां गुरुवार को परिसीमन आयोग को सौंप दीं. आप ने वार्डों के बंटवारे को अतार्किक होने का आरोप लगाया है. परिसीमन आयोग गए आप के प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि कुछ वार्डों की आबादी 35 हजार तो कुछ की 93 हजार से अधिक है.उसका कहना था कि परिसीमन की प्रक्रिया राजनीति से प्रेरित है. आप ने दिल्ली नगर निगम के चुनाव जल्द से ज्लद कराने की मांग की है.परिसीमन आयोग से मिलने गए आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज,एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक और चेयरमैन आदिल अहमद खान शामिल थे.


परिसीमन पर आप ने क्या आपत्तियां जताई हैं


राज्य चुनाव आयोग ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के विधायक को स्थानीय पदाधिकारियों के साथ परिसीमन मसौदा रिपोर्ट पर चर्चा करने और अपने सुझाव और आपत्तियों देने के लिए कहा है. सुझाव और आपत्तियां देने की अंतिम तारीख तीन अक्तूबर हैं.आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली में वार्डों के परिसीमन पर अपने प्रारंभिक सुझाव और आपत्तियां परिसीमन आयोग को सौंप दिए हैं. दुर्गेश पाठक ने बताया कि हमने राज्य चुनाव आयोग से मांग की है कि नगर निगम के चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग एमसीडी पर बीजेपी के भ्रष्ट शासन से मुक्ति चाहते हैं.






नए परिसीमन में दिल्ली नगर निगम के वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गई है.आप ने कहा है कि समिति को 22 वार्डों को कम करने की जरूरत थी. इसका एकमात्र सही तरीका उन विधानसभा क्षेत्रों की पहचान करना था,जिनमें चार से लेकर सात वार्ड थे. उस विधानसभा क्षेत्र के शेष वार्डों में वहां की आबादी को समान रूप से वितरित करके उनमें से प्रत्येक में एक वार्ड कम करना था.


वार्डों में जनसंख्या का असमान बंटवारा


आप ने आरोप लगाया है कि विधानसभा क्षेत्रों में वार्डों की संख्या बदले बिना अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों के अधिकांश वार्डों को डिस्टर्ब किया गया है. उसका कहना है कि यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित लग रही है.उसका कहना है कि मनमाने ढंग से वार्डों की सीमाएं बदली गई हैं.इससे अब कुछ वार्डों की आबादी 35 हजार से कम है, जबकि कुछ वार्डों में यह 93 हजार से अधिक है. इसलिए यह प्रक्रिया तर्कहीन है. 


आप का कहना है कि राज्य चुनाव आयोग ने 2011 की जनगणना के आंकड़ों को परिसीमन के लिए बेंचमार्क माना है.इसके मुताबिक दिल्ली की आबादी एक करोड़ 64 लाख 18 हजार 663 है. इस आधार पर दिल्ली के 250 वार्डों की औसत जनसंख्या 65 हजार 674 होनी चाहिए थी. लेकिन परिसीमन के ड्राफ्ट ने असमानता की स्थिति पैदा कर दी है. 


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