Delhi News: लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ जंग जारी है. AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम चला रहे हैं. इस मुद्दे पर कांग्रेस से सपोर्ट की भी मांग की थी, लेकिन अभी तक देश की सबसे पुरानी पार्टी ने उनके इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है. ऐसे में लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि क्या दिल्ली के अध्यादेश पर कांग्रेस को केजरीवाल का साथ देना चाहिए या नहीं?


46 प्रतिशत लोगों ने किया समर्थन


abp न्यूज़ के लिए सी वोटर्स ने ऑल इंडिया में एक साप्ताहिक सर्वे किया है जिसमें इसका जवाब दिया गया है. इस ऑल इंडिया सर्वे (ABP New Cvoters All India Survey) में 1 हजार 724 लोगों से बात की गई है. इसी हफ्ते ये सर्वे किया गया है. इस सर्वे के अनुसार, 46 प्रतिशत लोगों ने दिल्ली के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल का साथ देने के सवाल पर सहमति जताई है. जबकि 37 लोगों ने कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल का साथ न देने के फैसले का समर्थन किया है. वहीं 17 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस बारे में कुछ भी बोलने से मना कर दिया है.


AAP के लिए अस्तित्व की लड़ाई


दरअसल, अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में आए केंद्र के अध्यादेश को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के अस्तित्व से जोड़ लिया है. शायद इसीलिए वे केंद्र के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए अगल-अलग दलों के नेताओं से उनके गृह प्रांत की राजधानी में मुलाकात कर रह हैं और अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांग रहे हैं. अभी तक 10  विपक्षी पार्टियों ने सीएम केजरीवाल का समर्थन किया है. लेकिन कांग्रेस के समर्थन करने या ना करने को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस मुद्दे पर आखिरी फैसला आलाकमान का होगा.


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