कोरोना महामारी ने लोगों की आर्थिक हालात बेहद खराब कर दी थी, इसी वजह से कोरोना के बाद दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छात्रों के एडमिशन में काफी उछाल देखने को मिला था. हालांकि केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में साल 2021-2022 में खाद्यान की कमी के कारण 27 फीसदी (4.48) लाख बच्चों को मिड-डे मील नहीं मिला था. इस बात की जानकारी जब सामने आई जब कार्यक्रम अनुमोदन बोर्ड को अतिरिक्त लाभ की जानकारी दी गई.


क्योंकि सालाना मध्याह्न भोजन योजना के लिए कार्यक्रम अनुमोजन बोर्ड की तरफ से कार्य योजना बजट तैयार किया जाता है. इसके आधार पर पीएबी ने स्कूलों द्वारा रजिस्टर्ड बच्चों के आधार पर बजट दिया, जिसमें साल 2021-22 के लिए दिल्ली में प्राथमिक कक्षाओं में कक्षा 5 तक के लिए 6.45 लाख, 6 से 8 तक के लिए 6.39 लाख का बजट दिया गया. हालांकि 9 मई को पीएबी की बैठक में दिल्ली की जीएनसीटी ने बयाताय कि पीएम पोषण अनुमोदन में छात्रों के एडमिशन अधिक होने के वावजूद इस योजना में लाभ हुआ है. जिसमें कहा गया है कि खाद्यान्न की कमी के कारण सभी नामांकित बच्चों को मिड-डे मील योजना का लाभ नहीं मिला है. 


वहीं पीएबी ने बहुत देर से मंत्रालय को सूचना सौंपने के मुद्दे पर चिंता जाहिर की, पीएबी ने कहा कि दिल्ली के जीएनसीटी को वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के बाद अतिरिक्त संख्या में बच्चों के अनुमोदन के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहिए था. अगर अतिरिक्त प्रस्ताव को समय पर प्रस्तुत किया जाता तो महामारी के दौरान स्कूलों को बंद करने के दौरान नामांकन के विपरीतसभी बच्चों को योजना का लाभ मिलता.


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दिल्ली सरकार ने भी दी सफाई 


वहीं दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रत्येक तिमाही के लिए हमने अपने आवंटित खाद्यान्न को उठा लिया था और वितरित किया. इसके बाद स्कूल फिर से खुलने की देरी के कारण, अतिरिक्त आवश्यकताओं का वास्तविक अनुमान केवल अंतिम तिमाही में ही लगाया जा सका था. इस बात की केंद्र सरकार को जानकारी दी गई थी, लेकिन अतिरिक्त खाद्यान्न हमें जारी नहीं किया गया.


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