मुना के प्रदूषित पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार देखने को मिला है. इस बात की जानकारी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की जारी हुई रिपोर्ट में हुई है. इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में यमुना के पानी में मार्च की तुलना में अप्रैल में मामूली सुधार देखा गया है. हालांकि प्रदूषण का स्तर अभी भी मानक से 1,220 गुना अधिक है, इस रिपोर्ट में पता चला है कि यमुना के पानी में घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैव रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और मल कोलीफॉर्म जैसे घटक हैं.
मल कॉलीमॉर्म शहर के सीवेज के माध्यम से पानी को दूषित करता है. इसका स्तर जितना अधिक होगा उतना ही पानी में रोग पैदा करने वाले जीवों को पैदा करेगा. इस रिपोर्ट के अनुसार नदी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 1,200 एमपीएन है जो सबसे संभावित संख्या मिलीलीटर पर था. असगरपुर से बाहर निकलने के बाद, शाहदरा और तुगलाकाबाद नालियों से जाने वाली पानी की वजह से इसका स्तर 6,10,000 mpn/100ml पर था जो 2,500 mpn/100ml की अधिकतम अनुमेय सीमा से 244 गुना अधिक और 500 mpn/की वांछित सीमा से 1,220 गुना अधिक था.
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माना जाका है कि अप्रैल के समय में रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर 3 मिलीग्राम/एल से अधिक नहीं होना चाहिए. जो मार्च की तुलना में थोड़ा खराब है, पिछले महीने में 2.5 मिलीग्राम/एल और 75 मिलीग्राम/एल के बीच 2-70 मिलीग्राम/एल रहा था. वहीं पल्ला में बीओडी का स्तर सामान्य था, जहां नदी दिल्ली में प्रवेश करती है. वजीराबाद और आईएसबीटी ब्रिज के बीच इसका स्तर तेजी से बढ़ा है. मार्च में डीपीसीसी की रिपोर्ट से पता चला है कि अधिकांश सीवेज उपचार संयंत्र निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं.वहीं यमुना में प्रदूषण के बढ़ते घटते स्तर पर दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि नदी की गुणवत्ता पानी के प्रवाह के साथ उतार -चढ़ाव करती है.