Nest Man of India: आज के समय में हमारे आसपास वह पक्षियों (Birds) की चहचहाहट शायद ही सुनाई देती है, इस समय यह चहचहाहट ग्रामीण इलाकों (Rural Areas) या घने जंगलों (Forests) में सुनने को मिलती है, क्योंकि शहरों में बन रहीं बड़ी बड़ी बिल्डिंग और घरों ने कहीं ना कहीं उन नन्हे पक्षियों का आशियाना छीन लिया है, जो कभी हमें हमारे आसपास उड़ते हुए नजर आते थे. लेकिन इन्हीं पक्षियों की चहचहाहट को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं दिल्ली (Delhi) के मयूर विहार (Mayur Vihar) के रहने वाले राकेश खत्री.


14 सालों से कर रहें हैं काम
राकेश खत्री जो कि पक्षियों के लिए घोंसला (Nest) बनाने का काम करते हैं और पिछले 14 सालों में पूरे देश में अब तक ढाई लाख से ज्यादा पक्षियों के लिए घोंसले बना चुके हैं. जिसके बाद उन्हें 'नेस्ट मैन ऑफ इंडिया' (Nest Man of India) भी कहा जाता है. राकेश खत्री ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया बचपन से ही उन्हें पक्षियों से बेहद प्यार रहा, वह जब पुरानी दिल्ली में रहते थे तो वहां पर गौरैया को पकड़ कर उसके साथ खेला करते थे, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़े हुए वह गौरैया कहीं गायब हो गई, जो गौरैया (sparrow) पहले घर की खिड़की, छत पर देखने को मिल जाती थी अब वह कहीं दिखाई नहीं देती. जिसके बाद उन्होंने गौरैया के लिए घर बनाने के बारे में सोचा और साल 2008 में इसकी शुरुआत की.


 शुरुआत में नहीं दिया लोगों ने साथ
राकेश खत्री ने जब पक्षियों के लिए घोंसले बनाना शुरू किया तो पहले तो लोगों ने उनका साथ नहीं दिया, लेकिन फिर धीरे-धीरे सभी लोग उनके साथ से जुड़ते चले गए युवाओं, छात्रों, आरडब्लूए और अलग-अलग संस्थाएं उनके साथ जुड़ने लगी, और उन्होंने इस अभियान को देशभर में फैलाया और आज के अभियान देश के साथ-साथ विदेश तक पहुंच गया है. सबसे पहले उन्होंने हरे नारियल से चिड़ियों के लिए घोंसला बनाना शुरू किया, उन्होंने देखा कि की आस पास उस समय नारियल पानी पीने का चलन बहुत ज्यादा है, ऐसे में उस हरे नारियल को चिड़ियों के घोंसले के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, उन्होंने उस खाली नारियल में सूखे न्यूज़पेपर के टुकड़े, घास भरकर उसका एक घोंसला बनाया, उस पर कूलर की घास लगाकर तैयार किया. और फिर पेड़ों में फंसा कर रख दिया, हालांकि उन्हें यह तब नहीं मालूम था कि उनके बनाए हुए घोंसले में चिड़िया अपना आशियाना बसाएगी, लेकिन जब धीरे-धीरे वह ऐसा करते गए, तो उनके घोंसले में पक्षी आने लगे. तब उनकी खुशी दोगुनी हो गई और उन्हें लगा कि उनकी मेहनत सफल होने लगी है.


प्लास्टिक वेस्ट और टेट्रा पैक से बनाया घोंसला
राकेश खत्री ने पक्षियों के लिए हरे नारियल से चिड़ियों के लिए घोंसला तो बनाया लेकिन हरा नारियल कुछ दिनों बाद सूख जाता है ऐसे में फिर उन्होंने लकड़ियों, तीलियों, प्लास्टिक,जूट, लकड़ी आदि से भी घोंसला बनाना शुरू किया, इतना ही नहीं उन्होंने टेट्रा पैक का इस्तेमाल कर भी घोंसला बनाया, जो कारगर साबित हुआ. क्योंकि टेट्रा पैक अंदर से ठंडे होते हैं ऐसे में गर्मियों में टेट्रा पैक का घोंसला पक्षियों के लिए बेहद आरामदायक रहता है, उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट और टेट्रा पैक का इस्तेमाल कर घोंसला बनाया, जिससे पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सके और पक्षियों को उनका आशियाना भी मिल सके. राकेश खत्री ना केवल खुद घोंसले बनाते हैं, बल्कि छोटे बच्चों और अन्य लोगों को भी घोंसला बनाना सिखाते हैं, और अब तक वह 10 लाख से ज्यादा छात्रों को वह घोंसले बनाना सिखा चुके हैं, राकेश खत्री कॉलेज स्कूलों में घोसले बनाने को लेकर वर्कशॉप आयोजित करते हैं, जहां पर वह छात्रों के साथ-साथ लोगों को भी घोंसला बनाने के लिए प्रेरित करते हैं. जिससे कि पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके.


राकेश खत्री की हो रही है दुनिया भर में सराहना
राकेश खत्री अब तक ढाई लाख से ज्यादा घोंसले बना चुके हैं और न केवल देश भर में बल्कि विदेश में भी उनके इस काम की सराहना की जा रही है, राकेश खत्री ने बताया कि साल 2019 में उन्हें सबसे ज्यादा घोंसले बनाए जाने को लेकर 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड' से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें गौरैया संरक्षण पर हाउस ऑफ कॉमन्स  लंदन में 'इंटरनेशनल ग्रीन एप्पल अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है. और 12 भाषाओं में 112000 छात्रों के साथ जलवायु परिवर्तन पर थिएटर किए जाने को लेकर भी उन्हें 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड' से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा 190 देशों के संग वॉशिंगटन डीसी द्वारा उन्हें पृथ्वी दिवस स्टार घोषित किया गया है, और इस साल अपने देश में राकेश खत्री के नाम पर आईसीएसई बोर्ड की चौथी कक्षा की अंग्रेजी किताब में एक अध्याय भी शुरू किया गया है. जो छात्रों को पढ़ाया जाता है. उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.


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