पंजाब फतह करने के बाद दिल्ली में लगातार दो बार सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी की नजरें अब दिल्ली के एमसीडी चुनाव पर हैं. दिल्ली का एमसीडी चुनाव केजरीवाल की आप पार्टी के काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दिल्ली में सरकार रहने के बावजूद आप पार्टी दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई है. इसलिए माना जा रहा है कि इस बार दिल्ली में आप पार्टी के लिए एमसीडी चुनाव काफी जरूरी हो गया है.


दिल्ली का शासन तीन भागों में बंटा हुआ जिसमें केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और एमसीडी शामिल हैं. इन तीनों का अलग अलग कार्य है और अपने कार्य के सभी स्वतंत्र हैं. दिल्ली एमसीडी में बीजेपी का 15 साल से अधिक समय से कब्जा है.


दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और कांग्रेस पार्टी ने साल 2012 में दिल्ली एमसीडी को एकीकरण से तीन भागों में बांट दिया था, इनका मकसद था कि दिल्ली एमसीडी से बीजेपी को बाहर निकालना लेकिन ये इनके विपरीत हुआ.


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दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत से AAP को मिलेगा ये फायदा


दिल्ली में लगातार दो बार सरकार बनाने के बाद आप पार्टी एमसीडी चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई हैं. अगर अबकी बार दिल्ली एमसीडी चुनाव में आप की जीत होगी तो इससे AAP को साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी सीटों पर जीत मिल सकती है. इसके साथ ही केजरीवाल पार्टी के निर्विवाद नेता बन जाएंगे अगर एमसीडी और राज्य सरकार दोनों में आप पार्टी रहती है. 


पंजाब जीत से आप को दिल्ली एमसीडी चुनाव में रहेगा फायदा


साल 2017 में हुए चुनाव में पंजाब और उत्तराखंड में मिली हार आप पार्टी के लिए दिल्ली एमसीडी चुनाव में भी हार का कारण बनी थी. हालांकि अब पंजाब में मिली जीत आप पार्टी को दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत दिला सकती है, क्योंकि माना जाता है कि दिल्ली के पंजाबी मतदाता बीजेपी के मजबूत वोटर हैं लेकिन इस बार उन्हें लुभाने में मदद मिल सकती है.


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केजरीवाल के लिए भी जरूरी है दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत


माना जाता है कि अगर पार्टी विस्तार करती है तो उसमें अंदरूनी कलह भी रहती है. इसलिए आप पार्टी में भी अंदरूनी कलह का इतिहास रहा है. अगर दिल्ली एमसीडी चुनाव और लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृ्त्व में आप कुछ कमाल करती है तो केजरीवाल का मुकाबला पार्टी का कोई नेता नहीं करेगा. क्योंकि अगर एमसीडी चुनाव में हार मिली तो आप मुखिया पर भी पार्टी के नेता सवाल खड़े कर सकते हैं.