दिल्ली: अपनी औलाद को खोना किसी भी माता-पिता के लिए कभी ना भरने वाला जख्म है. राजधानी दिल्ली में भी एक गरीब मां-बाप ने ब्रेन में लगी चोट की वजह से अपनी पांच साल सात महीने की बच्ची को खो दिया था. बेटी की मौत से गमगीन माता-पिता ने ऐसा फैसला लिया जिसकी हर कोई सराहना कर रहा है. दरअसल इन्होने अपनी लाड़ली के अंगों को दान करने का फैसला किया ताकि किसी और बच्चे के अंदर वे अपनी मासूम की धड़कने सुन सकें. शुक्रवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में माता-पिता ने अपनी नन्ही परी के अंग दान कर दिए.


वहीं टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बेटी की मौत से शोकाकुल पिता हरनरायण प्रजापति जो पेशे से दर्जी हैं. उन्होंने कहा कि, "हमारी बेटी नहीं रही लेकिन उसके अंगों की वजह से कम से कम किसी और का बच्चा तो बचेगा. इसलिए हमने अपनी बेटी के अंग दान करने का फैसला किया.”


पहली बार किसी छोटे बच्चे के अंग दान करने पर सहमति मिली- डॉक्टर


एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ दीपक गुप्ता ने कहा कि यह पहली बार है जब इतने छोटे बच्चे के परिवार ने ट्रॉमा सेंटर में ब्रेन डेथ के बाद अंग दान करने पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा कि बच्चों द्वारा अंगदान दुर्लभ होता है. उन्होंने कहा, “ "मैं परिवार को सलाम करता हूं. उन्होंने अपनी छोटी बेटी को खोने का गम भुला दिया और उसके अंग दान करने को तैयार हो गए ताकि किसी और को बचाया जा सके, ”


डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि, “रोली नाम की लड़की को बुधवार को नोएडा में अपने घर पर खेलते समय कथित तौर पर बंदूक की गोली लग गई थी . सीटी स्कैन में भी गोली लगने की पुष्टि हुई है. उन्होंने कहा कि, “जब उसे एम्स ले जाया गया, तो उसकी हालत बहुत गंभीर थी. हमने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन आखिरकार शुक्रवार को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. उसके बाद, हमारे सलाहकारों ने उनसे अंगदान के लिए अनुरोध किया और सहमति ली गई. ”


मासूम की किडनी और लीवर ने बचाई दो बच्चों की जान


डॉक्टरों ने ब्रेन डेड बच्ची का लीवर, दो किडनी, हार्ट वॉल्व और कॉर्निया लिया है. मासूम की किडनी एम्स में एक बच्चे में प्रत्यारोपित की गई, जबकि लीवर को NOTTO द्वारा इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल को आवंटित किया गया था, जहाँ डॉक्टरों ने लखनऊ के दूसरे बच्चे का लीवर ट्रांसप्लांट करने की तैयारी की थी. एम्स में ऑर्गन रिट्रीवल एंड बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन (ओआरबीओ) की प्रमुख डॉ आरती विज ने कहा कि इस साल संस्थान में किसी ब्रेन डेड व्यक्ति की ओर से यह चौथा अंगदान है.


बता दें कि ब्रेन डेथ एक विनाशकारी मस्तिष्क की चोट से होती है, आमतौर पर सिर के आघात, मस्तिष्क में रक्तस्राव, स्ट्रोक, या हृदयगति रुकने के बाद मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में कमी (कार्डियक अरेस्ट) के कारण होती है.


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