Lohe Ka Pul In Delhi: बाढ़ आने के बाद इस वजह से चर्चा में आया गाजियाबाद को दिल्ली से जोड़ने वाला लोहे का पुल
Indian Railway Bridge: साल 1866 से 67 के बीच रेलवे ने लोहे के पुल का निर्माण हावड़ा को दिल्ली रेल लाईन से जोड़ने के मकसद से किया गया था. इस पुल के निर्माण पर उस समय 16 हजार पाउंड का खर्च आया था.
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Delhi News: देशभर में नदियों पर कई पुल अभी तक बन चुके हैं. इनमें से कई पुल रेल नेटवर्क के लिए काफी अहम हैं. इन्हीं पुलों में से एक है, दिल्ली को गाजियाबाद के रास्ते हावड़ा से जोड़ने वाला लोहे का पुल, जो दिल्ली में बाढ़ आने के बाद एक बार फिर से चर्चा में है. हालांकि, इस पुल के समानांतर एक नया पुल बनाया जा रहा है, जिसके निर्माण कार्य को अगले छह महीने में सम्पन्न करने की योजना है. आइए, आज दिल्ली के इस यमुना पुल के बारे में जानें सबकुछ.
लोहा के पुल के बारे में सबसे पहले हम आपको बता दें कि भारत मे रेल नेटवर्क की शुरुआत 1854 में बम्बई से ठाणे स्टेशन के बीच हुई थी, जिसके 12 साल के बाद 1866 से 67 के बीच इस ऐतिहासिक पुल, जिसे रेलवे की भाषा मे 249 के नाम से पहचाना जाता है, का निर्माण हावड़ा-दिल्ली को रेल लाईन से जोड़ने के मकसद से किया गया था. जानकारों के मुताबिक उस वक्त इस पुल के निर्माण में 16 हजार पाउंड का खर्च आया था. शुरुआत में इस ब्रिज पर सिंगल लाईन बिछाई गई थी, लेकिन कई साल बाद 1913 में इस पर दूसरी लाईन बिछाई गई और फिर 1930 में इसके नीचे बने सड़क मार्ग का भी चौड़ीकरण किया गया था. इस पुल की देखरेख की जिम्मेदारी उत्तर रेलवे की है.
कई बाढ़ का गवाह बन चुका है यह पुल
दरअसल, डेढ़ शताब्दी पुराना यह ऐतिहासिक पुल दिल्ली में आये कई बाढ़ का गवाह रहा है. यह आज तक वैसे ही खड़ा है, जिस वजह से इसे यमुना के जल-स्तर के मापक के रूप में भी देखा जाने लगा. 1978 में दिल्ली में आई बाढ़ के समय यमुना का जल-स्तर 207.49 मीटर था, जिस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए यमुना इस बार 207.71 मीटर तक पहुंच गई, जिससे दिल्ली के कई अहम इलाके यमुना की चपेट में आ गए. जिसके बाद दिल्ली-हावड़ा को जोड़ने वाली रेल नेटवर्क की जीवन रेखा कही जाने वाली, इस ऐतिहासिक पुल को अस्थायी तौर पर यातायात के लिए बंद कर दिया गया था.
जनवरी 2024 तक पूरा होगा यमुना ब्रिज का काम
इस लोहे के पुल डेढ़ शतक पुराने हो जाने के कारण, 2004 में इसके समानांतर एक नया यमुना ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. हालांकि बाढ़ के कारण फिलहाल इस पुल का निर्माण कार्य बाधित हुआ है, लेकिन जल्दी ही इसे फिर से शुरू कर दिया जाएगा और इस साल के अंत तक या फिर अगले साल जनवरी महीने तक इसे पूरा कर लिया जाएगा.
लोगों की यादों में कालजयी रहेगा यह पुल
भले ही रेलवे इस ऐतिहासिक पुल के समानांतर एक नया पुल बना रही है, लेकिन पुराने लोहे के पुल के साथ जुड़ी यादें और इस पुल पर फिल्माए गए, कई फिल्मों के दृश्य ने इस पुल को कालजयी बना दिया. लोहे का पुल हमेशा ही लोगों की यादों में रह कर एक युग की याद दिलाता रहेगा.
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