Delhi AIIMS: एम्स ने हाई कोर्ट को बताया- असामान्य भ्रूण को खत्म की मांग करने वाली महिला की हो रही जांच
AIIMS Delhi: अल्ट्रासाउंड में एक गर्भवती महिला के भ्रूण में कार्डियक असामान्यता के बारे में पता चला है, जिसके बाद महिला ने कोर्ट से गर्भपात की मांग की है. कोर्ट ने एम्स को मामले की जांच करने को कहा है.
Delhi AIIMS News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) द्वारा 27 सप्ताह की असामान्य गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग कर रही एक 32 वर्षीय महिला की चिकित्सा जांच की जा रही है. यह बात सोमवार को एम्स की ओर से हाईकोर्ट (High Court) को बताई गई. एम्स ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह को सूचित किया कि याचिकाकर्ता महिला की जांच की गई थी और अधिक जांच की जा रही है.
कार्डियक असामान्यता से पीड़ित है भ्रूण
न्यायाधीश ने मामले में एम्स को अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई 7 मार्च के लिए निर्धारित की. पिछले हफ्ते अदालत ने याचिकाकर्ता की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था, जिसका भ्रूण कार्डियक असामान्यता से पीड़ित है.
असामान्यता का पता चलने पर महिला ने की गर्भपात की मांग
अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भ्रूण में कुछ असामान्यता का पता चलने के बाद महिला ने गर्भपात की मांग की है. पीठ ने कहा था, असामान्यता की प्रकृति को देखते हुए एम्स एक मेडिकल बोर्ड का गठन करे. अदालत ने 17 फरवरी के अल्ट्रासाउंड के परिणाम को ध्यान में रखते हुए मामले को भ्रूण चिकित्सा विशेषज्ञ के पास भेज दिया था. भ्रूण में 25 फरवरी को हृदय संबंधी असामान्यता पाई गई थी और अदालत ने रिपोर्ट का अवलोकन किया.
'गंभीर असामान्यताओं में गर्भावस्था पर फैसला लेना महिला का अधिकार'
बता दें कि भ्रूण में गंभीर असामान्यताओं के एक मामले में कुछ दिनों पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि ऐसी स्थिति में गर्भावस्था जारी रखनी है या नहीं इस पर फैसला लेने का पूरा अधिकार महिला का है.
क्या था पूरा मामला
इस मामले में सोनोग्राफी में पता चला था कि भ्रूण में गंभीर असामान्यताएं थीं और बच्चा शारीरिक और मानसिक अक्षमताओं के साथ पैदा होगा, जिसके बाद महिला ने गर्भपात कराने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस मामले पर विचार करने के लिए गठित मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि चूंकि गर्भावस्था अंतिम चरण में हैं इसलिए असामान्यताएं होने के बावजूद इसे समाप्त नहीं किया जाना चाहिए, हालांकि कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा ता कि गंभीर भ्रूण असामान्यता को देखते हुए गर्भावस्था की अवधि कोई मायने नहीं रखती.
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