Delhi Pollution: दिल्ली में हर साल दीवाली पर फूटने वाले पटाखे और पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली परेशानी का सबब बन जाता है. अभी दीवाली में फूटे पटाखों से फैला प्रदूषण कम भी नहीं हुआ था कि पराली का धुंआ भी दिल्ली पहुंच गया है. ऐसे में दिल्ली के लोगों की दिक्कतें और बढ़ने वाली है.


दरअसल दीवाली के बाद से दिल्‍ली में AQI लगातार 531, 533, 436 और 432 बना हुआ है, जो कि पिछले कई सालों के मुकाबले खतरनाक है. पिछले 5 साल में शनिवार को पहली बार दिल्ली का AQI लेवल 533 पर पहुंचा था. इससे पहले 2016 में दिल्ली का AQI लेवल 431 दर्ज किया गया था.


दिल्‍ली के प्रदूषण पर नजर रखने वाली मानक संस्था सफर ने अपनी रिपोर्ट में पहले ही कहा था कि पिछले वर्षों के मुकाबले अगर इस साल 50 फीसदी भी पटाखों का इस्तेमाल किया गया, तो दिल्ली की हवा खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाएगी. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने 28 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी में 1 जनवरी 2022 तक पटाखों की बिक्री और उनके जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था.


दूसरी तरफ पराली के धुएं से आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों की बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद किसान पराली जलाने से नहीं रूक रहे हैं और पराली जलाना अपनी मजबूरी बता रहे हैं.


दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता खराब होने के बाद सड़कों पर पानी छिड़कने के वास्ते शनिवार को 114 पानी के टैंकर तैनात किए थे. वह लगातार काम कर रहे हैं. वहीं, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं. यह सब दिल्ली की हवा को प्रभावित कर रहा है. एक आपातकालीन उपाय के रूप में और लोगों की मदद के लिए, हम टैंकरों से पानी छिड़क रहे हैं, हमने स्मॉग गन भी लगा रखी है.


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