Delhi News: राजस्थान कांग्रेस (Congress) प्रभारी पद से साल 2022 में इस्तीफा देने के बाद यह माना जाने लगा था कि अजय माकन (Ajay Maken) ने ऐसा कर खुद के सियासी करिअर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला काम किया है. देश की सबसे पुरानी पार्टी में उनको लेकर ऐसा माने वालों और सियासी उथल पुथल पर नजर रखने वाले विश्लेषकों को उस समय झटका लगा जब रविवार को पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बात की घोषणा की कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने माकन को पार्टी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया है. अजय माकन अब पवन बंसल का स्थान लेंगे. पवन बंसल से पहले इसकी जिम्मेदारी अहमद पटेल के पास थी. दोनों को गांधी परिवार का भरोसेमंद व्यक्ति भी माना जाता है.
आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त कोषाध्यक्ष अजय माकन का कद इसी के साथ इसी के साथ कांग्रेस पार्टी के अंदर नंबर दो का हो गया है. ऐसा इसलिए कि कांग्रेस पार्टी का कोषाध्यक्ष पद किसी भी नेता के लिए अहम माना जाता है. कांग्रेस की परंपरा में उसी व्यक्ति का यह पद मिलता रहा है जो पार्टी की गतिवधियों और गांधी परिवार दोनों के बीच बेहतर तालमेल बनाने में सफल रहे हैं. फिर कांग्रेस पार्टी में इस पद से जुड़ी कई ऐसी जिम्मेदारियां हैं, जिन पर खड़ा उतरना जरूरी होता है.
खरगे ने माकन को बड़ी जिम्मेदारी दे सबको चौंकाया
उनकी नियुक्ति कुछ लोगों के लिए चौंकाने वाली इसलिए भी है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष रहे अजय माकन को पार्टी की यह अहम जिम्मेदारी राजस्थान में आंतरिक संघर्ष के उथल-पुथल भरे दौर में वहां के प्रभारी पद से इस्तीफा देने के बाद मिली है. जिस समय उन्होंने इस्तीफा दिया था कि उस समय राजस्थान और पंजाब कांग्रेस में भूचाल की स्थिति थी. साथ ही पार्टी विगत कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी थी. वैसे भी राजस्थान कांग्रेस प्रभारी का उनका कार्यकाल काफी उतार चढ़ाव और चुनौतीपूर्ण रहा था. उन्होंने सीएम अशोक गहलोत और पार्टी के युवा नेता सचिन पायलट घमासानके बीच प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया था.
अजय माकन का यह निर्णय सुर्खियों में भी रहा था. उसके बाद से माना जाने लगा था कि अजय माकन को अब कांग्रेस में अहम जिम्मेदारी मिलना मुश्किल है, लेकिन कांग्रेस के अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे ने उनकी कोषाध्यक्ष पद पर नियुक्ति कर सबको चौका दिया है. उनकी इस नियुक्ति के पीछे पार्टी के आंतरिक मतभेदों को सुलझाने, पार्टी की एकता को मजबूत करने और राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में स्थिरता लाने के के प्रयासों का परिणाम माना जा रहा है.
माकन की चुनौतियां
मल्लिकार्जुन खरगे के फैसले के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को उम्मीद है कि माकन एक संतुलित दृष्टिकोण की दिशा में काम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी गुटों की चिंताओं को प्रभावी ढंग से निपटाने की कोशिश करेंगे. एआईसीसी के कोषाध्यक्ष के रूप में उनकी नई भूमिका में पार्टी के वित्त और फंडिंग से जुड़े मसलों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेना भी शामिल होगा. वित्तीय प्रबंधन माकन की सबसे अहम जिम्मेदारियों में से एक है. ऐसा इसलिए कि पार्टी की लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा व अन्य चुनावी गतिविधियों के साथ निरंतर संगठनात्मक गतिविधियों के लिए आर्थिक संसाधनों को जुटाना किसी के लिए भी आसान नहीं होता.
मनमोहन और शीला के साथ कर चुके हैं काम
बता दें कि अजय माकन कांग्रेस पार्टी के एक अनुभवी राजनेता है. उन्होंने राष्ट्रीय और राज्य सरकार दोनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है. माकन 2004 और 2009 सांसद चुने गए थे. साल 1993 से 2004 के दौरान वह तीन बार दिल्ली विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं. शीली दीक्षित सरकार और केंद्र सरकार में मंत्री पद जिम्मेदारी पूरा करने का भी उनके पास अनुभव है. इसके अलावा, उन्हें संगठनात्मक जिम्मेदारियों को पूरा करने में भी सक्षम माने जाते हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक अजय माकन की कोषाध्यक्ष पद पर नियुक्ति से पार्टी कार्यकर्ताओं को नई ताकत मिलेगी. लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के लिए पार्टी को मजबूत करने में मदद मिलेगी. यह कदम बागी कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को संबोधित करने और हल करने के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता का भी संकेत दे रहा है.
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