Delhi MCD Mayor election: दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत के करीब ढ़ाई माह बाद भी मेयर का चुनाव नहीं हो पाया है. वर्तमान में यह मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई होनी है. खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई इस बात पर होनी है कि एल्डरमैन काउंसलर्स स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव में वोट करेंगे या नहीं. यही वजह है कि आम आदमी पार्टी अब भी टेंशन में है. 


बता दें कि स्थायी समिति में मनोनीत निगम पार्षदों को वोट डालने की बात को लेकर बीजेपी पार्षदों से किसी ने किसी बहाने आप पार्षदों की तकरार होती रहती है. इस पर हंगामे की वजह से छह जनवरी, 24 जनवरी और छह फरवरी को मेयर पद का चुनाव कराने के लिए सदन की बैठक बुलाई गई थी, जिसे हंगामे की वजह से पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने स्थगित कर दिया था.


एल्डरमैन काउंसलर्स को नहीं है वोट का अधिकार


बार-बार मेयर चुनाव स्थगित होने के बाद आम आमदी पार्टी इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि एमसीडी के मेयर चुनाव में मनोनीत निगम पार्षों को वोट करने का अधिकारी नहीं है. इस बात का निगम एक्ट में भी प्रावधान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अभी यह नहीं कहा कि एमसीडी के स्टैंडिंग कमेटी  के अध्यक्ष के चुनाव में एल्डरमैन काउंसलर्स को वोटिंग का अधिकार नहीं है. 


एल्डरमैन काउसंलर्स को लेकर ये है परंपरा 


दिल्ली नगर निगम का इतिहास यह है कि जब भी स्टैंडिंग कमेटी और एमसीडी जोन के चुनाव हुए, एल्डरमैन काउंसलर्स ने मतदान करते आए हैं. इस बात का एमसीडी एक्ट में भी प्रावधान है. अब इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को सुनवाई के दौरान बीजेपी मेयर पद प्रत्याशी रेखा गुप्ता व पीठासीन अधिकारी अपना पक्ष रखेंगे. दोनों की ओर से पक्ष रखने के बाद शीर्ष अदालत यह तय करेगी कि एल्डरमैन काउंसलर्स को स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष व जोनों चेयरमैन के चुनाव में वोट करने का अधिकार होगा या नहीं. तभी जाकर दिल्ली के सीएम अ​रविंद केजरीवाल का टेंशन दूर होगा. 


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बीजेपी की मंशा, आप के लिए बड़ी चुनौती 
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के हाईकमान का यह बखूबी पता है कि मेयर के चुनाव में बहुमत बीजेपी नहीं जुटा सकती है. ऐसा इसलिए कि मनोनीत 14 विधायक में से 13 और 3 राज्यसभा सांसदों का वोट आम आदमी पार्टी के पक्ष में जाएगा. इनका वोट बीजेपी को मिलना असंभव जैसा है. इसके बावजूद बीजेपी की रणनीति मेयर प्रत्याशी के खिलाफ अपनी पार्टी की ओर से मजबूत उम्मीदवार खड़ा कर आप को उलझाने की है. बीजेपी ऐसा कर आप को स्टैंडिंग कमेटी से दूर रखना चाहती है.