हर किसी को दिल्ली आकर रेहड़ी-पटरी लगाने की अनुमति देने से शहर में जंगल राज हो जाएगा- हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हर किसी को दिल्ली आकर रेहड़ी-पटरी लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती, इससे पूरे शहर में जंगल राज उत्पन्न हो सकता है.
Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हर किसी को दिल्ली में आकर रेहड़ी-पटरी लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे पूरे शहर में ‘जंगल राज’ उत्पन्न हो सकता है. इसने इस बात पर जोर दिया कि पथ विक्रेता अधिनियम का उचित क्रियान्वयन किए जाने की आवश्यकता है जिससे कि बिक्री की एक संगठित गतिविधि हो सके. हाई कोर्ट ने नगर निगमों सहित स्थानीय अधिकारियों को पथ विक्रेता (आजीविका का संरक्षण और पथ बिक्री का नियमन) अधिनियम के तहत वैधानिक पथ बिक्री योजना तैयार करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 18 नवंबर को सूचीबद्ध करते हुए कहा, "इस संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को अवगत कराया जाए."
अदालत नयी दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो कनॉट प्लेस क्षेत्र में दुकान मालिकों और संचालकों का प्रतिनिधित्व करती है. याचिका में अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि 'नो हॉकिंग' और 'नो वेंडिंग' क्षेत्रों में अवैध पथ बिक्री गतिविधियां बंद हों.
याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव रल्ली के माध्यम से आग्रह किया कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाए कि क्षेत्र अवैध फेरीवालों और विक्रेताओं के अतिक्रमण से मुक्त रहे. अदालत के निर्देशों का अनुपालन करते हुए पुलिस उपायुक्त (नयी दिल्ली जिला), कनॉट प्लेस थाने के प्रभारी और नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष इस दौरान मौजूद रहे.
पीठ ने कहा, “हम शहर को सभी के लिए इस मकसद से खुला छोड़ने की अनुमति नहीं दे सकते कि यहां कोई भी आकर बैठ जाए और फेरी लगाना शुरू कर दे. ऐसा होने से पूरा शहर एक जंगल राज की ओर चला जाएगा, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है, इसलिए कृपया हमारे आदेशों को लागू करें.”
Delhi News: गोपाल राय ने यमुना में झाग के लिए हरियाणा सरकार को ठहराया जिम्मेदार, जानें क्या कहा?
Air Pollution: वायु प्रदूषण की वजह से Delhi-NCR में हर पांच परिवारों में चार परिवार बीमार- सर्वे