AMU Phd Student Case: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की एक पीएचडी स्कॉलर ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) का रुख किया है. उसने अपने पीएचडी सुपरवाइजर के अपॉइंटमेंट को चुनौती दी है. छात्रा का आरोप है कि सुपरवाइजर की नियुक्ति उस प्रोफेसर की अनुशंसा पर हुई है जो फिलहाल उसके साथ यौन उत्पीड़न करने के मामले में आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहा है. 


द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने यूजीसी, एमयू और प्रोफेसर से इस मामले में जवाब मांगा है. छात्रा ने कहा कि प्रोफेसर ही पहले उसका गाइड था. वह उसे छूने की कोशिश करता था और उससे आपत्तिजनक बातें करता था. छात्रा ने कहा कि पिछले साल अप्रैल में प्रोफेसर ने सेक्सुअल फेवर की मांग की थी, जो उस छात्रा ने सीधे-सीधे मना कर दिया था. छात्रा के मना करने प्रोफेसर ने परेशान करना शुरू कर दिया और उसके चार साल के रिसर्च को निर्रर्थक बता कर उसे डॉक्टरेट की डिग्री देने से इनकार कर दिया. जबकि पहले हर महीने उसके काम का मूल्यांकन कर उसे संतोषजनक बताता था.


छात्रा के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विटनस को बना दिया गाइड
याचिका में कहा गया है कि छात्रा ने प्रोफेसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी और उस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वहीं, छात्रा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर दी गई. इसके बाद छात्रा ने नए गाइड की नियुक्ति की मांग की और विशेषकर किसी महिला को गाइड बनाने की मांग की. पिछले साल अगस्त में एक गाइड नियुक्त किया गया है. हैरानी की बात यह है कि वह छात्रा के खिलाफ दर्ज एफआईआर का गवाह है. 


पीएचडी की अवधि बढ़ाने की मांग
छात्रा का कहना है कि उसकी पीएचडी की अवधि बिना थेसिस पेपर जमा किए 31 दिसंबर 2023 को ही खत्म हो गई. जिसकी वजह एएमयू के पक्षपाती, गैरकानूनी और मनमाना रवैया है. छात्रा ने कोर्ट से अपील की है कि उसकी पीएचडी की अवधि कम से कम 10 महीने के लिए बढ़ा दी जाए.


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