Anna Hazare Wrote Letter to CM Arvind Kejriwal: शराब नीति को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल को लिखी चिट्ठी पर अन्ना हजारे ने प्रतिक्रिया दी है. अन्ना ने इस बात की वजह भी बताई है आखिर उन्हें अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी क्यों लिखनी पड़ी. उन्होंने कहा है कि जो नीति सिर्फ सत्ता और पैसा सिखाती है, वो नीति ठीक नहीं. 


गांधीवादी नेता ने कहा कि केजरीवाल के सीएम बनने के बाद आजतक चिट्ठी लिखा नहीं. शराब नीति एक गलत पॉलिसी है. अन्ना हजारे ने कहा कि सीएम केजरीवाल हर वार्ड में शराब की दुकान खोल रहे हैं और उम्र सीमा 25 से घटाकर 21 साल कर दी गई है. वह शराब को बढ़ावा दे रहे हैं.


उन्होंने कहा कि मैंने पहली बार उन्हें चिट्ठी लिखी. जब मैं आंदोलन कर रहा था, तब वो (अरविंद केजरीवाल) मुझे 'गुरु' कहा करते थे, अब उनकी भावनाएं कहां गईं?


'मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूं....'
अन्ना ने मंगलवार को सीएम अरविंद केजरीवाल को लिखी चिट्ठी में कहा-, 'राजनीति में कदम रखने से पहले आपने 'स्वराज' किताब लिखी थी. उसकी प्रस्तावना मुझसे लिखवाई. आपने किताब में ग्रामसभा और शराब नीति का बखान किया था. आपने जो कुछ भी लिखा था वह आपको याद दिलाना चाहता हूं.


हजारे ने चिट्ठी में आगे कहा, ''आपने किताब में काफी आदर्श बातें लिखी थी, और मुझे आपसे काफी उम्मीदें थीं.'' लेकिन, ऐसा लगता है कि आप राजनीति में आने और मुख्यमंत्री बनने के बाद उन शब्दों को भूल गए हैं. आपने जो नई आबकारी नीति बनाई है, वह शराब की लत की आदत को बढ़ावा देती है. इस नीति से राज्य के कोने-कोने में शराब की दुकानें खुल रही हैं. नतीजतन, यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है जो जनता के पक्ष में नहीं है, लेकिन आपने ऐसी नीति लाने का फैसला किया है.


शराब की तरह सत्ता का नशा- अन्ना हजारे
अन्ना हजारे ने चिट्ठी में कहा, जिस प्रकार शराब का नशा होता है, उसी प्रकार सत्ता का भी नशा होता है. आप भी ऐसी सत्ता के नशे में डूब गए हो, ऐसा लग रहा है. केजरीवाल को 18 सितंबर, 2012 को हुई टीम अन्ना की बैठक की याद दिलाते हुए हजारे ने कहा, आप भूल गए कि राजनीतिक दल बनाना हमारे आंदोलन का इरादा नहीं था.


उन्होंने कहा, दिल्ली आबकारी नीति को देखकर लगता है कि ऐतिहासिक आंदोलन को खत्म कर जो पार्टी बनी थी, वह उसी रास्ते पर चली गई है, जिस पर अन्य दल चल रहे हैं, जो बेहद खेदजनक बात है.


'दिल्ली सरकार से ऐसी नीति की उम्मीद थी'
अन्ना ने लिखा- मैं यह चिट्ठी इसलिए लिख रहा हूं कि हमने पहले रालेगणसिद्धी गांव में शराब को बंद किया. फिर कई बार महाराष्ट्र में एक अच्छी शराब की नीति बने इसलिए आंदोलन किए. आंदोलन के कारण शराब बंदी का कानून बन गया, जिसमें किसी गांव और शहर में अगर 51 प्रतिशत महिलाएं खराब बंदी के पक्ष में वोटिंग करती हैं तो वहीं शराबबंदी हो जाती है.


उन्होंने चिट्ठी में आगे लिखा, दिल्ली सरकार द्वारा भी इस प्रकार की नीति की उम्मीद थी. लेकिन आप ने ऐसा नहीं किया. लोग भी बाकी पाटिंर्यों की तरह पैसा से सत्ता और सत्ता से पैसा के दुष्टचक्र में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं. एक बड़े आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी को यह बात शोभा नहीं देती. 


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