President Rule in Delhi: दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह स्पष्ट तौर पर ‘‘सियासी प्रतिशोध’’ का मामला होगा.
मंत्री आतिशी ने कहा, ‘‘एलजी किस संवैधानिक प्रावधान का जिक्र कर रहे हैं? देश का कानून बिल्कुल स्पष्ट है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार अधिनियम (जीएनसीटीडी) में स्पष्ट कहा गया है कि अगर आपके पास सदन में बहुमत नहीं है तो आप मुख्यमंत्री नहीं बन सकते. ये प्रावधान लागू नहीं होते फिर, किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा?’’
राष्ट्रपति शासन पर SC के फैसले की दिलाई याद
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि राष्ट्रपति शासन तभी लगाया जा सकता है जब कोई विकल्प न हो. उन्होंने कहा, ‘‘देश का कानून बहुत स्पष्ट है. राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है जब कोई अन्य विकल्प न हो. अनुच्छेद 356 का मुद्दा कई बार सुप्रीम कोर्ट में गया है.
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने हर बार फैसला सुनाया है कि, ‘‘राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है जब राज्य के शासन के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है. अगर आज राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है.’’
क्या कहता है अनुच्छेद 356?
संविधान का अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक व्यवस्था की विफलता के मामले में प्रावधानों से संबंधित है.
ईडी को सबूत को जरूरत नहीं
दिल्ली की मंत्री केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘‘आपके पास ईडी है. उन्हें किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है. धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नेताओं की गिरफ्तारी होने पर उन्हें जमानत नहीं मिलती है. इसलिए सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया जाएगा. तब उनसे कहा जाएगा कि या तो इस्तीफा दें, नहीं तो हम राष्ट्रपति शासन लागू करेंगे.’’
आतिशी ने यह भी दावा किया कि अगर आबकारी नीति मामले में स्वतंत्र जांच कराई गई होती तो भारतीय जनता पार्टी आरोपी होती. ईडी ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था. बाद में एक अदालत ने केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया.
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