दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सोमवार (29 जुलाई) को सुनवाई हुई. सीबीआई के मामले में दायर की गई सीएम केजरीवाल की याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सीबीआई ने सीएम केजरीवाल को आबकारी नीति से जुड़े मामले में 25 जून को गिरफ्तार किया था. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा इस याचिका पर सुनवाई कर रही थीं.
आई की तरफ से पेश डीपी सिंह दलील
सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने कोर्ट में बताया कि सीएम केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट दायर कर दी गई है. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि जैसे जैसे उनकी सुनवाई आगे बढ़ रही है, उन्हें और सबूत मिले है. आज चार्जशीट दाखिल की गई है जिसमें सीएम केजरीवाल समते छह लोगों के नाम है. इनमें से पांच की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है.
सीबीआई ने दावा किया कि सीएम केजरीवाल जो कैबिनेट के मुखिया हैं, उन्होंने आबकारी नीति पर दस्तखत किया. इसके बाद अपने सहयोगियों के सिग्नेचर का एक दिन में रिव्यू किया. ये सब कोविड के दौरान हुआ. सीबीआई के वकील ने कहा कि हमारे पास ऐसे सबूत जो स्थापित करते हैं कि शराब घोटाले के जरिए आए पैसे का इस्तेमाल पंजाब के चुनाव में हुआ.
सीएम केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील
सीएम केजरीवाल की तरफ अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि उन्होंने (मुख्यमंत्री) इस पर दस्तखत किए और 15 और लोगों ने इसमें पर साइन (हस्ताक्षर) किए. उपराज्यपाल ने भी साइन किया. उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?
उन्होंने कहा कि सीएम केजरीवाल को ईडी के केस में तीन बार जमानत मिली. सीएम केजरीवाल के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि सीबीआई अक्सर विजय नायर को मामले में सेंट्रल फिगर के रूप में बताती है लेकिन नायर को बहुत पहले ही सीबीआई मामले में जमानत दे दी गई थी.
सिंधवी ने सीएम केजरीवाल को सीबीआई द्वारा 'सूत्रधार' बताए जाने की भी कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि सीबीआई व्यापक संदर्भ को स्वीकार करने में विफल रही. उन्होंने कहा कि आबकारी नीति नौ अंतर-मंत्रालय समिति का नतीजा थी. इसमें अलग-अलग विभागों के अधिकारी शामिल थे. इस पर एक साल तक विचार विमर्श हुआ और तब ये प्रकाशित किया गया.
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