Arvind Kejriwal On The Delhi Model Book launch: आप नेता जैस्मिन शाह की बुक द दिल्ली मॉडल के लॉन्चिंग के मौके पर आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे. इस दौरान मंच पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मौजूद थे. इस किताब में 'आप' के सफर से लेकर दिल्ली में हुए बदलाव की झलक देखने को मिलेगी.


कैसे हुई मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन से मुलाकात


अरविंद केजरीवाल ने इस किताब के लॉन्चिंग के दौरान कहा कि ये किताब 'आप' के राजनीतिक सफर और दिल्ली की गुड गवर्नेंस की एक झलक है, लेकिन इस किताब से कुछ अलग हटके आज आपको मैं बताने जा रहा हूं दरअसल ये उन दिनों की बात है जब हम पहली बार मनीष सिसोदिया से मिले तब मनीष सिसोदिया एक टीवी चैनल में काम करते थे. एक छोटे से कमरे में रहते थे.


उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली की समस्याओं को उठाना चाहता था उनपर काम करना चाहता था तब नौकरी में रहते हुए मैंने एक वेब साइट परिवर्तन के नाम से बनाई और उसपर लोगों को अपनी समस्याएं क्षेत्र की समस्याओं को रखने को कहा और आपको जानकर हैरानी होगी कि उस वेबसाइट पर पहली प्रतिक्रिया जिसकी आई वो कोई और नहीं मनीष सिसोदिया थे. जिसके बाद मैं मनीष सिसोदिया से मिलने उनके घर गया. मनीष सिसोदिया एक छोटे से कमरे में रहते थे और एक टीवी चैनल में काम करते थे. हमारी बातचीत हुई उसके बाद हमने मिलकर सुंदर नगरी की झुग्गियों में काम शुरू किया.


उसके बाद हमारी मुलाकात सतेंद्र जैन से हुई और फिर हमने मिलकर काम शुरू किया. सतेंद्र जैन के आइडिया बहुत अच्छे होते थे और हम लोग हमेशा उनके आइडिया पर काम करने की बात करते थे. उसके बाद अन्नाजी के साथ आंदोलन शुरू हुआ और लोकपाल बिल की मांग की अगर लोकपाल बिल आ जाता तो शायद आज हम राजनीति में न होते. 


हम सभी एक मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं हमारा किसी का राजनीति से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था लेकिन हमारे लोकपाल की मांग को नहीं माना और कहा राजनीति में आओ चुनाव लड़ो और बिल पास करो. उसके बाद हमने राजनीतिक पार्टी बनाई और चुनाव लड़े जानता ने विश्वास जताया हमने जानता के लिए काम किया.


अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहले मैं देखता था सिर्फ राजनीतिक पार्टी एक दूसरे पर ब्लेम गेम खेलती थी और आज भी वही देखने को मिल रहा है. अब दिल्ली में उनकी (BJP) पोलराइजेशन की पॉलिटिक्स नहीं चलती. 2020 में उन्होंने शाहीनबाग-शाहीनबाग करने की कोशिश की, लेकिन स्कूल और अस्पताल ने शाहीनबाग़ को हरा दिया. 


'राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं थी'


केजरीवाल ने कहा कि अगर इन्होंने लोकपाल बिल पास कर दिया होता तो शायद आज मैं राजनीति में ना होता मेरी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं थी लेकिन इन लोगों ने मजबूर किया जिसके बाद में राजनीति में आया सरकार बनाई और सरकार में रहकर काम करके दिखाया और मेरा मानना है कि सरकार का पैसा सीधे जनता की जेब में जाना चाहिए लेकिन बीजेपी कुछ चुनिंदा लोगों को अपना पैसा बांट रही है. 


आप के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि लोग कहते थे अरविंद केजरीवाल मुफ्त बिजली दे रहा है. मुफ्त पानी दे रहा है. मुफ्त महिलाओं को बस सेवा दे रहा है. मुफ्त बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करा रहा है. इसका पैसा आयेगा कहां से. मैंने कहा कि ईमानदारी से सिर्फ काम करो ये सोचने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. मैं सोचता हूं सरकार का पैसा सीधे जनता की जेब में जाना चाहिए वो सोचते हैं सरकार का पैसा कुछ चुनिंदा लोगों के पास जाना चाहिए. अरविंद केजरीवाल और उनमें यही अंतर है.


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