Delhi News: पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच दूरियां और बढ़ती नजर आ रही हैं. समान नागरिक संहिता पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बीजेपी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. इसे देखकर ऐसा माना जा रहा है कि केजरीवाल 2024 के लिए विपक्षी दलों से अलग होकर कोई नया प्लान तैयार कर रहे हैं.
समान नागरिक संहिता पर बीजेपी को समर्थन देने पर आप के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने कहा कि पार्टी UCC का सैद्धांतिक समर्थन करती है. और आर्टिकल 44 भी यह कहता है कि UCC होना चाहिए. पटना की बैठक के बाद कांग्रेस और आप के नेताओँ के अलग-अलग बयानबाजी को देखकर लगता है कि केजरीवाल विपक्ष से अलग राह पकड़ने वाले हैं.
बैठक के बाद AAP का अलग स्टैंड
विपक्षी दलों ने बैठक में फैसला किया कि हम सब एक हैं और मिलकर लड़ेंगे. लेकिन जैसे ही बैठक खत्म हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल नजर नहीं आए. जिसको लेकर सवाल उठे. इस बैठक के बाद ही कांग्रेस और आप के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया. भोपाल में पीएम मोदी ने यूसीसी का जिक्र किया तो कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू ने उसपर हमला बोला. लेकिन आप ने उन्हें समर्थन देने की बात कही. जहां बैठक में तय हुआ था सब मिलकर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाएंगे. वहां आप का अलग ही स्टैंड देखने को मिला.
क्या केजरीवाल ने चुनी अपनी अलग राह
कांग्रेस-आप के बीच बयानबाजी को देखते हुए केजरीवाल का विपक्षी दलों के साथ जाना मुश्किल लग रहा है. कांग्रेस के साथ तो केजरीवाल बिल्कुल नहीं चलना चाहते. लोकसभा चुनाव से पहले भी 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ इन तीनों राज्यों में आप विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है. इसलिए वो बीजेपी और कांग्रेस पर सीधा वार कर रही है. आप की तरफ से यह बताने की कोशिश की जा रही है वो बीजेपी के साथ सीधा मुकाबला कर रही है. आप के के स्टैंड को देखकर ऐसा लगता है कि वो विपक्ष के तो साथ है लेकिन भी इसके लिए तैयार नहीं है.
शिमला की बैठक क्या विपक्षी हो जाएंगे अलग
विपक्षी पार्टियों की दूसरी बैठक शिमला में होनी है लेकिन इससे पहले इनमें फूट पड़ने की संभावनाएं ज्यादा दिख रही है. खासकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच. जहां आप दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. वहीं कांग्रेस मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं देना चाहती, उनका मानना है कि मध्यप्रदेश में आप का कोई जनाधार नहीं है. जिसको लेकर झगड़ा इतना बढ़ गया है कि शिमला बैठक से विपक्षियों में फूट पड़ने वाली है.
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