Delhi Ordinance Issue: केंद्र के अध्यादेश को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और दिल्ली सरकार के अधिकारों को कुचलने वाला बताया. बुधवार (14 जून) को उन्होंने कहा कि केंद्र ने अध्यादेश लाकर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ही खारिज नहीं किया है, बल्कि दिल्ली सरकार को पूरी तरह से खत्म कर दिया है.
'कैबिनेट के ऊपर मुख्य सचिव को बैठा दिया गया है'
सीएम ने कहा कि अध्यादेश के अनुसार, अब मुख्य सचिव ये तय करेगा कि कैबिनेट का निर्णय सही है या गलत. इसी तरह, अगर सचिव को लगता है कि मंत्री का आदेश कानूनी रूप से गलत है तो वो मानने से इन्कार कर सकता है. यह दुनिया में पहली बार हो रहा है कि सचिव को मंत्री का बॉस बना दिया गया है. आज तक भारत और दुनिया के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि मंत्री के ऊपर सचिव को और कैबिनेट के ऊपर मुख्य सचिव को बैठा दिया गया हो. यह चीज आज तक कभी नहीं हुई. अगर इस अध्यादेश को एक लाइन में कहें तो अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल नहीं होंगे, बल्कि मोदी होंगे और वो ही सभी फैसले लेंगे.
सीएम केजरीवाल ने दिए दो उदाहरण
सीएम अरविंद केजरीवाल ने दो उदाहरण बताए. उन्होंने कहा कि पहला मामला विजिलेंस सचिव से जुड़ा है. सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विजिलेंस सचिव को एक वर्क ऑर्डर दिया कि किस तरह से कार्य किया जाएगा, मगर विजिलेंस सचिव ने दिल्ली सरकार के अंदर खुद को एक स्वतंत्र प्राधिकारी घोषित कर दिया. दूसरे उदाहरण में बताया कि दिल्ली में एक जगह झुग्गियां तोड़ी गई. दिल्ली सरकार के वकील ने झुग्गियां तोड़ने के खिलाफ बहुत कमजोर दलीलें दी. उसकी दलीलों को सुन कर ऐसा लगा रहा था कि वो दूसरी पार्टी से मिला हुआ है. इसके बाद संबंधित मंत्री ने सचिव को आदेश दिया कि हमें अगली सुनवाई में कोई अच्छा और वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त करना चाहिए. इस पर संबंधित सचिव फाइल में लिखती हैं कि अधिवक्ता की नियुक्ति का अधिकार मेरा है. मंत्री इसके लिए मुझे आदेश नहीं दे सकते हैं कि हमें किस अधिवक्ता को नियुक्त करना चाहिए. इस लिहाज से मैं मंत्री के आदेश को कानूनी रूप से सही नहीं मानती हूं और उनका आदेश खारिज करती हूं.
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'इस तरह से हम सरकार को कैसे चलाएंगे'
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस तरह से हम सरकार कैसे चलाएंगे. अब तो हर सचिव यह तय कर रहा है कि मंत्री का कौन सा आदेश गैर-कानूनी है और कौन सा नहीं है. ये तो जब मर्जी चाहे मंत्री के आदेश को गैर-कानूनी करार दे सकते हैं. आज हर एक सचिव सुप्रीम कोर्ट का जज बन गया है.
अध्यादेश कामकाज में रुकावटें पैदा करता है- सीएम केजरीवाल
सीएम ने कहा कि ये अध्यादेश सरकार के कामकाज में कई रुकावटें पैदा करता है. उन्होंने कहा कि अध्यादेश कहता है कि अब किसी भी विभाग का सचिव तय करेगा कि संबंधि मंत्री की ओर से जारी कोई निर्देश वैध है या नहीं. सचिव कह सकता है कि उसे लगता है कि मंत्री का निर्देश अवैध है और इसकी जानकारी मुख्यमंत्री या एलजी को देंगे. इस तरह वो मंत्री के किसी भी निर्देश का पालन करने से साफ मना कर सकता है. चुनी हुई सरकार को पूरी तरह अनावश्यक बना दिया गया है. सभी शक्तियां नौकरशाही में ट्रांसफर कर दी गई हैं और नौकरशाहों पर नियंत्रण केंद्र सरकार के पास रहेगा.