Delhi News: दिल्लीवालों को अगले दो से तीन साल बाद पानी की कमी से दो-चार नहीं होना पड़ेगा. सीएम अरविंद केजरीवाल के निर्देशन में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा कई पहल किए जा रहे हैं, जिनकी बदौलत पानी की कमी खत्म होने की उम्मीदें काफी हद तक बढ़ गई है. दिल्ली के सीएम का कहना है कि हमारी सरकार इस मुहिम के जरूर कामयाब होगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली करीब 1000 एमजीडी पानी का उत्पादन कर रही है. हम इसे बढ़ाकर 1200 एमजीडी तक ले जाना चाहते हैं. अगर हम इस लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं तो फिर दिल्लीवालों को पानी की कमी नहीं होगी. बता दें कि जब सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार 2015 में बनी थी उस समय दिल्ली करीब 850 एमजीडी पानी का उत्पादन करती थी.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहले कदम के तहत नॉर्थ दिल्ली और ट्रांस यमुना का ईस्ट दिल्ली में पानी केा लेकर बहुत बड़ी योजना चल रही है. इस एरिया हर साल प्राकृतिक रूप से वाटर रिचार्ज होता है. यमुना हर साल बाढ़ग्रस्त होती है. उसकी वजह से पूरी ईस्ट दिल्ली अपने आप रिचार्ज हो जाती है. इन क्षेत्रों में बहुत बड़े स्तर पर ट्यूबवेल्स लगा रहे हैं. इन ट्यूबवेल्स से हम काफी पानी निकाल पाएंगे. अगले साल वो फिर रिचार्ज हो जाएगा.
ऐसे करेंगे पानी की कमी को दूर
दिल्ली सरकार एसटीपी से सीवर के गंदे पानी को ट्रीट कर करीब 590 एमजीडी पानी निकालते हैं. यह पानी पानी यमुना में बहा देते हैं. इसका कोई फायदा नहीं होता है. ऐसा इसलिए कि यह पानी 30/30 कटेगरी का होता है. यह पानी गंदा माना जाता है. इसे हम 10/10 पर लाने का प्रयास कर रहे हैं. एसटीपी से निकलने वाले इस पानी को हम झीलों के अंदर डालेंगे. इसके लिए दिल्ली में ढेर सारी झीलें बना रहे हैं. ये साफ पानी होता है. इसके बदबू नहीं होती है. इस पानी को झीलों में डालने से वहां का वातावरण काफी हरा-भरा हो जाता है और पिकनिक स्पॉट बन जाता है.
झील बनने के बाद द्वारका भूजल स्तर में सुधार
पिछले छह-सात महीने में द्वारका में करीब तीन-चार वर्ग किलोमीटर के एरिया में पानी का स्तर पांच मीटर ऊपर आ गया है. यह सुधार द्वारका में झील बनने की वजह से हुआ है. जब आसपास के इलाके में जल स्तर ऊपर आ जाएगा तो नियमों के मुताबिक हम वहां आसपास ट्यूबवेल लगा देंगे. फिर ट्यूबवेल्स के जरिए जमीन से पानी निकालेंगे, जिसे आरओ प्लांट में भेजेंगे. हम बड़े-बड़े आरओ प्लांट लगा रहे हैं. आरओ से उस पानी को साफ करेंगे और फिर यूजीआर तक लेकर जाएंगे. मुझे लगता है कि इन दो कदमों से दो से तीन साल में दिल्ली में पर्याप्त पानी होगा.