Delhi News: कहते हैं न कि राजनीति के मैदान में कभी कोई न तो किसी का स्थायी दुश्मन होता है, और न ही स्थायी दोस्त. सियासी समीकरण और माहौल, दोस्त या दुश्मन तय करते हैं. ऐसा ही नजारा पिछले कुछ दिनों से भारतीय राजनीति में फिर से दिखाई दे रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को ध्यान में रखते हुए एक तरफ 26 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर इंडिया (INDIA) नाम से नया गठबंधन बनाया है, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने 38 पार्टियों को एकजुट कर एनडीए (NDA) को नये सिरे से पुनर्गठित किया है. वहीं आधे दर्जन के करीब प्रमुख सियासी पार्टियों ने अभी तक न तो किसी को दोस्त माना है, न ही दुश्मन बताया है.
इस बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Mallikarjun Kharge) ने एक ट्वीट कर साफ कर दिया है कि अभी तक दुश्मन नंबर एक की श्रेणी में चर्चित सियासी दल यानी कांग्रेस अब उनका दोस्त नंबर वन बन गया है. दरअसल, आज मल्लिाकर्जुन खरगे का जन्मदिन है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आज 81 साल के हो गए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें ट्वीट कर जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दी। साथ ही आप और कांग्रेस के बीच की नई-नई दोस्ती को आगे भी मजबूती से जारी रखने के संकेत दिए हैं. अपने ट्वीट में दिल्ली के सीएम ने खरगे के लिए लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना भी की है.
BJP की बढ़ाई की टेंशन
सीएम अरविंद केजरीवाल के इस ट्वीट से यह तय हो गया है कि एक दशक पहले अस्तित्व में आई आम आदमी पार्टी को भारतीय राजनीति में कांग्रेस के रूप में एक बड़ा सहयोगी मिल गया है. इतना ही नहीं, अभी तक भारतीय राजनीति में अलग-थलग पड़े आप को विपक्षी दलों के सबसे बड़े सियासी मंच के जरिए पार्टी की राजनीति को आगे बढ़ाने का मौका मिल गया है. संभवत: इस बात को ध्यान में रखते हुए अरविंद केजरीवाल ने मल्लिकार्जुन को जन्मदिन की बधाई देकर साफ कर दिया है कि हमारी ये दोस्ती लंबी चलेगी और दोनों मिलकर केंद्र की सत्ता से बीजेपी को बेदखल करने का काम करेंगे.
अब विपक्षी एकता पर देंगे जोर
बता दें कि कांग्रेस और आप के बीच नई दोस्ती का मार्ग उस समय प्रशस्त हुआ, जब 11 मई को दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार ने 19 मई को एक अध्यादेश लाकर पलट दिया. उसके बाद से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी एकता की मुहिम पर हैं. उनका कहना है कि अध्यादेश गैर संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है. यह केवल दिल्ली के लिए नहीं है. सत्ताधारी पार्टी आने वाले समय में अध्यादेश का इस्तेमाल किसी भी गैर बीजेपी शासित राज्यों में कर सकती है. दिल्ली में तो मोदी सरकार ने पहला प्रयोग किया है. इसके विरोध में विपक्षी एकता को बढ़ावा देने के लिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कई राज्यों का दौरा किया और विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की. वह विपक्षी एकता के नाम पर पटना में आयोजित विपक्षी पार्टियों की बैठक में भी शामिल हुए थे.
INDIA के मंच से करेंगे AAP की राजनीति
दूसरी तरफ उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी मुलाकात के लिए समय मांगा था. हालांकि, उनकी मुलाकात तो अभी अलग से नहीं हो पाई, लेकिन कांग्रेस ने अध्यादेश पर आप सरकार को समर्थन देने का वायदा किया है. कांग्रेस के इस बदले रुख के बाद आप प्रमुख विपक्षी एकता को लेकर बेंगलुरु में आयोजित दूसरी बैठक में शामिल हुए. बैठक के दौरान सीएम केजरीवाल को कांग्रेस के नेताओं ने सीएम ममता बनर्जी के बाद सबसे ज्यादा तवज्जो दी. उसके बाद से आप ने कहा कि हम लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे. साथ ही विपक्षी एकता की मुहिम को भी आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया. साफ है कि आप प्रमुख विपक्षी पार्टियों का मंच इंडिया के जरिए वह पार्टी की राजनीति को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे.
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