Delhi Assembly Update: दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक बार फिर अपने पुराने तेवर में दिखे. उन्होंने मंगलवार को सदन में दिल्ली सरकार के कामकाज और उसके अधिकार क्षेत्र को लेकर दमदार तरीके से अपनी बात रखी. इतना ही नहीं, उनके रौद्र रूप से साफ है कि उन्होंने हमला तो दिल्ली के उपराज्यपाल (LG VK Saxena) पर बोला, लेकिन उनका बयान केंद्र सरकार और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के लिए सीधे तौर पर चुनौतीभरा संदेश है. इसके साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी की आगामी सियासी मंशा भी जाहिर कर दी है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आज के स्पीच के कई सियासी मायने हैं. उन्होंने आम आदमी पार्टी को लेकर एक तरह से स्थिति भी साफ कर दी है. उन्होंने बीजेपी सहित देश के सभी सियासी दलों से कह दिया है कि आप को हल्के में न लें. हम रुकने वाले नहीं हैं. आम आदमी पार्टी का कारवां अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है. हम अपने लक्ष्य से भटके नहीं हैं. यहां पर इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि उनके आज के भाषण का सीएम बनाम एलजी विवाद, एमसीडी विवाद, दिल्ली सरकार के कामकाज के तरीके व अन्य मसलों पर कितना और कैसा असर पड़ेगा? फिलहाल, यह कहा जा सकता है कि सीएम अरविंद केजरीवाल के स्पीच को सियासी तौर पर देखें तो उनके भाषण में से तीन बातें गौर करने लायक है.
- पहला यह कि दिल्ली सरकार संविधान के दायरे में रहकर अपना काम कर रही है. अगर, किसी ने राह में रोड़ा अटकाने की कोशिश की तो हम उसे और बर्दाश्त नहीं कर सकते.
- दूसरा यह कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी पार्टी और विचारधारा की सरकार स्थायी नहीं होती. यानी बीजेपी भुलावे में न रहे कि कांग्रेस कमजोर हो गई है तो अब किसी में उसका विकल्प बनने की क्षमता नहीं है. ऐसा भी हो सकता है कि आगामी वर्षों में केंद्र में आप की सरकार हो. उनका यह कहना कि आज केंद्र में बीजेपी की सरकार है, दिल्ली में बीजेपी का एलजी है, तो कल केंद्र में किसी और की भी सरकार हो सकती है. इसलिए एक चुनी हुई सरकार के कामकाज में संविधान से परे जाकर किसी भी सरकार या एजेंसी का दखल देना उचित नहीं कहा जा सकता.
- केजरीवाल के भाषण में अंतिम बात यह है कि एलजी वीके सक्सेना खुद को दिल्ली का सर्वेसर्वा न समझें. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले का हवाल देते हुए साफ किया कि शीर्ष अदालत ने माना है कि एडमिनिस्ट्रेटर मतलब यह नहीं है कि एलजी के पास कुछ भी फैसला लेने का अधिकारी है.
इसके अलावा, अरविंद केजरीवाल ने ये भी संकेत दिए हैं कि अगर इसके बाद भी हमारी सरकार को परेशान किया तो वो जनहित में सख्त कदम भी उठा सकते हैं.