Delhi News: दिल्ली (Delhi) में ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) एक आम समस्या है. 19 से 25 सितंबर के बीच दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को इस मामले में 300 से ज्यादा शिकायतें मिली है. लेकिन बलों के डाटा के मुताबिक केवल दो शिकायतों पर एक्शन लिया गया. प्रशासनिक अधिकारियों की कमी ओर ध्वनि प्रदूषण पर कोई कठोर सजा ना होने की वजह से राजधानी में लोगों को हर साल त्योहारों में ध्वनि प्रदूषण का सामना करना पड़ता है. कई लोगों ने बताया कि ये साल भर की समस्या है जिससे कई रातों की नींद बर्बाद होती है लेकिन दिपावली से लेकर नंवबर के शुराआती दिनों तक ये समस्या और गंभीर हो जाती है.


ध्वनि प्रदूषण से हो रही मानसिक स्वास्थय से जुड़ी समस्याएं  


पूर्वी दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन में रहने वाले एक 61 साल वर्षिय व्यक्ति कहते हैं त्योहारों के समय में मैं और मेरा परिवार ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए होटल्स या फिर दोस्तों के घर चले जाते हैं. हम लोग अपने इलाके में ध्वनि प्रदूषण से परेशान हो चुके हैं. एनएच 24 हमारे घर के पास ही है वहां से निकलने वाले ट्रकों के साथ लाउडस्पीकर्स में तेज गाने बजते हैं इसी की वजह से पिछली चार रातों से मैं सो नहीं पाया हूं. देर रात तक होने वाला ध्वनि प्रदूषण मानसिक स्वास्थय से जुड़ी समस्याओं को जन्म दे रहा है. हम लोग कोरोना महामारी से पहले इस समस्या के चलते होटल और दोस्तों के घर चले गए थे. उन्होंने आगे कहा मैं इस समस्या को लेकर पिछले 6 साल में 6 जिलों के कमिश्नर से मिला और शिकायतें की लेकिन उनपर कोई एक्शन नहीं लिया गया.


पिछले हफ्ते में ध्वनि प्रदूषण की शिकायतों से जुड़ी 409 कॉल


साउथ दिल्ली के साकेत इलाके में रहने वाली एक महिला भी इस समस्या से काफी परेशान हैं. वो कहती हैं रात की शिफ्ट में काम करना पड़ता है पास के पंडालों में बजने वाले तेज लाउडस्पीकर्स की वजह से काम में फोकस करने में बहुत मुश्किल होती है. रात 12 बजे के बाद भी बजने वाले साउंड की वजह से सर दर्द होने लगता है. दिल्ली पुलिस  के सीनियर अधिकारियों का कहना है कि हम सभी रिपोर्टस् को गंभिरता से ले रहे हैं. पिछले हफ्ते में ध्वनि प्रदूषण  की शिकायतों से जुड़ी 409 कॉल पुलिस के पास आई. 58 मामलों में पुलिस के पहुंचने से पहले ही स्पीकर बंद कर दिए गए. ये ,सभी कॉल 10 बजे के बाद ध्वनि प्रदूषण के नियमों के उल्लघन करने पर की गईं थी.


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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस मामले में क्या है नियम ?


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रेजिडेंसल इलाकों में 6 बजे से 10 बजे तक मैक्सीमम ध्वनि का स्तर 55DB(A)रखने की अनुमति दी है. अस्पताल वाले इलाके में कानून और भी सख्त है इन्हें साइलेंट जोन घोषित किया गया है. ध्वनी प्रदूषण हेल्पलाइन में कार्यरत दिल्ली पुलिस के ऑफिसर्स को ध्वनी प्रदूषण से जुड़ी शिकायत के लिए 10 से 15 कॉल आती हैं. कई बार यह 200 काल तक पहुंच जाती हैं. इनमें से ज्यादातर ध्वनी प्रदूषण की शिकायत पंडालों से आती है.


शहर में लोगों के कल्याण संघों के प्रमुख निकाय यूनाइटेड आरडब्ल्यूए जॉइंट एक्शन (URJA)के अतुल गोयल कहते हैं, जब प्रशासन के ध्वनी स्तर को लेकर नियम तय करने बाद भी लाउडस्पीकर्स तेज बजाए जाते हैं तो ये प्रशासन की ही कमी है. धार्मिक कार्यों को लेकर सबकी अपनी भावनए हैं लेकिन लाउडस्पीकर्स को बजाने की अनुमति 10 से साढ़े 10 तक ही होनी चाहिए. द्वारका के पुलिस उपायुक्त हर्ष वर्धन ने कहा कि उन्होंने जिले में त्योहारों के आयोजकों के साथ मीटिंग की और उन्हें नियमों के बारे में जानकारी दी. उन्हें बता दिया गया है कि त्यौहारों में उन्हें कोई छूट नहीं दी जाएगी और लाउडस्पीकर्स बजाने की इजाजत 10 बजे तक ही होगी. अगर इलाके में  ध्वनी प्रदूषण से जुड़ी शिकाीयत मिलती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. एक तरफ ध्वनी प्रदूषण को लेकर पुलिस कार्रवाई का भरोसा देती है. दूसरी तरफ शहर में रहने वाले लोग अपनी कहानियां बताते हैं.


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