Black Spot: सावधान! एक्सीडेंट के लिहाज से ये हैं दिल्ली के टॉप 10 ब्लैक स्पॉट
Delhi Black Spot: स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि खतरनाक ब्लैक स्पॉट पर दुर्घटनाओं को कुछ जरूरी कदम उठाकर सरकार नियंत्रित कर सकती है.
Delhi dangerous Black Spot News: दिल्ली की सड़कें कितनी असुरक्षित हैं, ये बात किसी से छुपी नहीं है. न ही इसमें कोई शक है. दिल्ली में प्रति दिन सड़क दुर्घटना में औसतन पांच से ज्यादा मौतें दर्ज की जाती हैं. इनमें से चार पैदल चलने वालों और दोपहिया सवारों की होती हैं. यही वजह है कि सड़क सुरक्षा के मामले में दिल्ली का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब है. स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की ओर से किए गए सर्वे में इस बात का खुलासा किया है कि आखिर देश की राजधानी की सड़कें इतनी असुरक्षित कयों हैं? एसपीए के सर्वे रिपोर्ट में दिल्ली के टॉप 10 खतरनाक ब्लैक स्पॉट यानी कम्युटर्स के लिहाज से जानलेवा चौराहों का भी जिक्र है.
कुछ समय पहले दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से में बताया गया था कि शहर में सड़क दुर्घटनाओं में हर दिन औसतन पांच लोगों की मौत होती है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की सड़क सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट में ये जिक्र है कि दिल्ली में हर हफ्ते एक कार सवार और दो साइकिल सवारों की मौत होती है.
ये हैं दिल्ली के खतरनाक ब्लैक स्पाट
स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (School of Planning and Architecture) की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के दस प्रमुख चौराहों में आजादपुर चौक, भलस्वा चौक, मुकरबा चौक, बुरारी चौक, मजनूं का टीला, पंजाबी बाग चौक, गाजीपुर फ्लाइओवर मुर्गा मंडी, मुकुंदपुर चौक, रजोकरी फ्लाइओवर और मधुबन चौक का नाम शामिल हैं. इसके अलावे म
ब्लैक स्पॉट से बचाव के लिए सरकार उठाए ये कदम
स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लैक स्पॉट पर दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को सरकार रोक सकती है. बशर्ते कि सरकार इस दिशा में कुछ जरूरी कदम उठाए.
- इन प्वाइंटों के लिए सरकार स्पेशल प्लान तैयार करे या एक ऐसा प्लान बनाए जो जिसमें आम लोग भी सहभागी बन सकें.
- ब्लैक स्पॉट वाले इलाके दिल्ली के बाहरी इलाके में ज्यादा हैं. ये ऐसे इलाके हैं जहां पर . बड़ी संख्या में पैदल रोड क्रॉस करने वाले, टू व्हीलर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूजर्स ज्यादा हैं. . इस क्षेत्रों में सरकार को सुरक्षा पहलुओं पर जोर देने की जरूरत है.
- 90 फीसदी से ज्यादा इंटरसेक्शन वाले क्षेत्रों में स्थित हैं.
- इन क्षेत्रों में जनभागीदारी के आधार पर शैक्षिक और जागरूकता प्लान चलाने की जरूरत.
क्या होता है ब्लैक स्पॉट?
दरअसल, सड़क पर जिस जगह बार-बार हादसे होते हैं, उस जगह को ब्लैक स्पॉट माना जाता है. किसी सड़क, हाइवे, एक्सप्रेस-वे पर अगर एक ही स्थान पर तीन साल में पांच सड़क हादसे हो जाएं तो सरकारी फाइल में ऐसे स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किए जाते हैं. इसके अलावा किसी जगह पर तीन साल में दस मौत हो जाएं तो भी उसे ब्लैक स्पॉट घोषित कर दिया जाता है. आमतौर पर हादसे के आस-पास के 500 मीटर के एरिया को ब्लैक स्पॉट माना जाता है.