Bageshwar Dham in Delhi: बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की लोकप्रियता और उनकी शक्तियों से प्रभावित उनके भक्तों का उन पर अटूट विश्वास बन चुका है. यही कारण है कि बाबा बागेश्वर धाम के लिए लोगों की दीवानगी बढ़ती ही जा रही है. आईपी एक्सटेंशन स्थित रामलीला उत्सव ग्राउंड में कल दिव्य दरबार में शामिल होने को लेकर लोगों का हुजूम जिस कदर कथा स्थल पर उमड़ा हुआ था और इस दौरान वहां मचे भगदड़ के बाद भी लोग वहां से जाने को तैयार नहीं थे, वह किसी दीवानगी से कम नहीं है.
दरअसल, तीन दिवसीय हनुमंत कथा के पहले दिन ही यह घोषणा कर दी गयी थी कि 7 जुलाई को 12 बजे से दिव्य-दरबार लगाया जाएगा और शाम को 4:00 बजे से हनुमंत कथा होगी. दिव्य-दरबार मे अपने नाम की पर्ची निकलवाने की चाह में, सुबह से ही लोग कथा स्थल पहुंचने लगे थे. स्थिति यह हुई कि 11 बजे से पहले ही पूरा आयोजन स्थल लोगों से खचा-खच भर गया और स्थल के बाहर बनाये गए प्रवेश द्वार समेत स्थल के चारों तरफ लाखों लोग खड़े थे, जो किसी भी तरह अंदर प्रवेश करना चाह रहे थे. हालांकि, 11 बजे से ही आयोजको द्वारा लगातार यह उद्घोषणाएं की जा रही थी की, कथा स्थल में जगह नहीं है, इसलिए जो लोग बाहर खड़े हैं, वो अपने-अपने घरों को लौट जाएं और टीवी पर हो रहे सजीव प्रसारण को देखें.
कथा स्थल के अंदर प्रवेश के दौरान मची भगदड़
लेकिन बाबा के भक्तों की भीड़ वहां से जाने को तैयार नहीं थी. कथा स्थल पर प्रवेश नहीं मिलने पर वे बाहर सड़क पर ही बैठ गया. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा कर्मियों द्वारा कुछ पलों के लिए प्रवेश द्वार को खोला गया. जिसमें घुसने के लिए लोग दौड़ पड़े. यही वजह है कि कुछ समय के लिए वहां पर भगदड़ मच गई, जिसमें कुछ लोग घायल भी हो गए.
महज 70 हजार की थी व्यवस्था, लाखों लोग पहूंचे
मिली जानकारी के अनुसार, कथा स्थल पर 70 हजार लोगों के ही बैठने की व्यवस्था थी, जबकि लाखों लोग इसमें शामिल होने के लिए पहूंच गए थे और वहां उतनी भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी भी नहीं थे. भले ही अव्यवस्था का माहौल उत्पन्न हो गया, भगदड़ मच गई लेकिन, बाबा के भक्तों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. अंतिम क्षणों तक लोग अंदर प्रवेश पाने की चाह में वहां पर बने रहे.
पटना में 10 लाख से ज्यादा लोग पहूंचे थे
गौरतलब है कि इससे पहले पटना में हुए आयोजन में कथा के पहले दिन आयोजन स्थल पर रिकॉर्ड 10 लाख से भी ज्यादा लोग पटना के कथा स्थल पर पहूंच गए थे. जिस तरह की भीड़ बाबा के आयोजन में पहूंच रही है, उसे देखते हुए निश्चित ही आयोजकों को किसी बड़े स्थल ओर इसका आयोजन करना चाहिए था. जिससे न भगदड़ की स्थिति उत्पन्न होती और न लोगों को यह मलाल रहता कि वे कथा स्थल तक पहूंच कर भी बाबा के दरबार मे शामिल नहीं हो सके.