Delhi: बार काउंसिल ऑफ दिल्ली का फैसला- महिला लॉ इंटर्न को अदालतों में सलवार कमीज पहनने की इजाजत दी
Bar Council of Delhi: महिला इंटर्न को सफेद सलवार कमीज पहनने की इजाजत होगी. बीसीडी अध्यक्ष ने कहा कि हम ये सुनिश्चित करेंगे कि जो इंटर्न भारतीय ड्रेस में भी कोर्ट जा सकें.
Delhi News: बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने कहा है कि महिला लॉ इंटर्न को अब अदालतों में सिर्फ सफेद शर्ट, काली टाई, काली पैंट और काला कोट ही नहीं बल्कि उन्हें काली और सफेद सलवार कमीज पहनने की इजाजत होगी. बीसीडी के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता केके मनन ने बार एंड बेंच से कहा कि उठाया गया मुद्दा महत्वपूर्ण है और सोमवार को ही संशोधन किया जाएगा ताकि महिला इंटर्न को कोई कठिनाई न हो. मनन ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आज ही संशोधन किया जाए, ताकि महिला इंटर्न जो पैंट और शर्ट पहनने में सहज नहीं हैं, वे भारतीय ड्रेस में भी अदालत जा सकें.
बीसीडी ने अपने पिछले आदेश में किया संशोधन
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिसने बीसीडी को राष्ट्रीय राजधानी में सभी बार एसोसिएशन से परामर्श करने और एक आम सहमति पर पहुंचने का निर्देश दिया था कि लॉ इंटर्न को कौन सी ड्रेस चाहिए, बीसीडी ने 16 दिसंबर 2022 को कहा था कि लॉ इंटर्न के लिए ड्रेस कोड सफेद शर्ट, काली टाई, काली पैंट और काला कोट होगा. यह भी फैसला लिया था कि सभी इंटर्न करने वाले अधिवक्ताओं के लिए नेक बैंड पहनना अनिवार्य होगा.
पिछले साल 1 दिसंबर को न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने शाहदरा बार एसोसिएशन के 24 नवंबर के फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में इंटर्न को काले कोट पहनने से प्रतिबंधित किया गया था, उन्हें 1 दिसंबर से सफेद शर्ट, नीला कोट और पैंट पहनने के लिए कहा गया था. सभी इंटर्न के लिए एक समान ड्रेस कोड निर्धारित करने के मद्देनजर, न्यायमूर्ति सिंह ने बीसीडी को राष्ट्रीय राजधानी में सभी बार एसोसिएशन और अन्य हितधारकों की एक बैठक आयोजित करने के लिए कहा था ताकि इस बात पर आम सहमति बन सके कि लॉ इंटर्न को कौनसी ड्रेस पहननी चाहिए.
उन्होंने कहा था कि सभी इंटर्न के लिए एक समान ड्रेस कोड निर्धारित किया जाना चाहिए क्योंकि अगर अलग-अलग एसोसिएशन अलग-अलग ड्रेस निर्धारित करते हैं, तो इंटर्न को असुविधा होगी. अदालत ने आग्रह किया था कि एक बैठक आयोजित की जाए और लॉ शिक्षा के नियमों, 2008 को ध्यान में रखते हुए एक सामान्य निष्कर्ष निकाला जाए. एसबीए ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करने में विफल रहने पर इंटर्न को अदालत में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
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