शिक्षा मंत्रालय ने चार वर्षीय इंटीग्रेटेड अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP) को अधिसूचित कर दिया है. वर्ष 2030 से शिक्षकों की भर्ती केवल आईटीईपी के माध्यम से ही होगी. फिलहाल चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम केवल कुछ चुनिंदा शिक्षण संस्थानों में ही शुरू किया जाएगा. चार वर्षीय आईटीईपी की शुरूआत शैक्षणिक सत्र 2022-23 से होगी. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की तरफ से राष्ट्रीय सामान्य प्रवेश परीक्षा (NCET) के जरिए पाठ्यक्रम में दाखिला दिया जाएगा. 


केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीए बीएड, बीएससी बीएड और बीकॉम बीएड पाठ्यक्रम को फिलहाल देश भर के लगभग 50 चयनित बहु-विषयक संस्थानों में पायलट मोड के तौर पेश किया जाएगा और ये स्कूली शिक्षकों के लिए न्यूनतम डिग्री की योग्यता होगी. दावा है कि इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम से छात्रों को काफी लाभ होगा क्योंकि वर्तमान बीएड पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक पांच साल के बजाय चार साल में ही छात्र पूरा कर लेंगे, जिससे उनके एक साल की बचत होगी.


केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस मौके पर कहा कि शिक्षक की शिक्षा में एक नए युग की शुरूआत हुई है. एनईपी (NEP) के अनुरूप एनसीटीई की तरफ से 4 साल का आईटीईपी शिक्षकों की एक नई पीढ़ी को विकसित करने में मदद करेगा. उन्होंने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने और देश को आत्मनिर्भर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने का दावा किया.


धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि भारतीय मूल्यों और परंपराओं के आधार पर और 21वीं सदी के वैश्विक मानकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक बहु-विषयक वातावरण में आईटीईपी से उत्तीर्ण होने वाले भावी शिक्षक, छात्रों के भविष्य को आकार देने में सहायक होंगे. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक ये एक दोहरी प्रमुख समग्र स्नातक डिग्री है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत अध्यापक शिक्षा से संबंधित किए गए प्रमुख प्रावधानों में से एक है. 


शिक्षा मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इस पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार किया है कि ये छात्र-शिक्षक को शिक्षा में डिग्री के साथ-साथ इतिहास, गणित, विज्ञान, कला, अर्थशास्त्र या वाणिज्य जैसे विशेषीकृत विषयों में डिग्री प्राप्त करने में सक्षम बनाता है. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि चार वर्षीय आईटीईपी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख उद्देश्यों में से एक को पूरा करने में एक मील का पत्थर साबित होगा.


ये पाठ्यक्रम पूरे अध्यापक शिक्षा क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देगा. मंत्रालय के मुताबिक बहु-विषयक वातावरण के माध्यम से पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले भावी शिक्षकों को वैश्विक मानकों पर 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार शिक्षा दी जाएगी और इस प्रकार ये नए भारत के भविष्य को आकार देने में काफी हद तक सहायक होगा. 


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