Bike Taxi Ban in Delhi : देश की राजधानी दिल्ली में बाइक का टैक्सी के रूप में व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक लगने के बाद मंगलवार से बाइक टैक्सी की ऐप पर बुकिंग भी बंद हो गई. यानी अब जिस भी बाइक का रजिस्ट्रेशन कमर्शियल व्हीकल के तौर पर नहीं होगा, उसका कमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ परिवहन विभाग ने सख्त कार्रवाई करने का फैसला लिया है. बशर्ते कि परिवहन विभाग ने बाइक टैक्सी के गलत इस्तेमाल पर आज से सख्ती शुरू कर दी है. 
 
दिल्ली सरकार ने 20 फरवरी को अपने आदेश में कहा था कि निजी बाइक का इस्तेमाल किसी भी तरह की आर्थिक गतिविधियों में नहीं किया जा सकता. दिल्ली सरकार ने एक नोटिस जारी करते हुए प्राइवेट बाइक को टैक्सी की तरह इस्तेमाल किए जाने पर तत्काल रोक लगा दी है. केजरीवाल सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि रोक के बाद भी निजी बाइक का कमर्शियल इस्तेमाल करने वालों के चालान काटे जाएंगे. पहली बार पकड़े जाने पर 5 हजार रुपए और दूसरी बार बाइक का कमर्शियल इस्तेमाल करते हुए पकड़ें जाने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भरना होगा. इस बाद भी हरकत से बाज नहीं आने पर इसके आरोपी को जेल भी भेजा जा सकता है. 


बाइक पर सवारी ढ़ोना नियमों का उल्लंघन


इतना ही नहीं, बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर चालान काटने और जेल भेजने के अलावा बाइकर का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है. बाइक सर्विस से जुड़े एग्रीगेटर्स कंपनियां को भी चेतावनी दी गई है कि यदि उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म  यानी मोबाइल ऐप पर बुकिंग जारी रखीं तो उनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. परिवहन विभाग की ओर से जारी नोटिस में साफ कहा गया है कि बाइक पर यात्रियों को ढोना मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन है.


सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत देने से किया था इनकार


बता दें कि दिल्ली, मुंबई सहित देश के तमाम बड़े शहरों में बाइक टैक्सी का चलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. कार टैक्सी और ऑटो की तुलना में काफी सस्ता पड़ने के कारण लोग काफी तादाद में बाइक टैक्सी का इस्तेमाल करते हैं. इस ट्रेंड पर केंद्रीय परिवहन मंत्रालय  आपत्ति जता चुका है.2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में किए गए संशोधनों में कहा गया था कि एग्रीगेटर वैध लाइसेंस के बिना काम नहीं कर सकते. हाल ही में देश की सर्वोच्च अदालत ने भी बाइक टैक्सी एग्रीगेटर रैपिडो को महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाइसेंस देने से इनकार करने के खिलाफ राहत देने से इनकार कर दिया था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था. 


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