Delhi Politics: दिल्ली में एक बार फिर धरना पॉलिटिक्स का आगाज, विधानसभा में AAP-BJP विधायकों ने रात भर दिया धरना
AAP vs BJP: शराब पर शुरू हुई सियासी जंग अब एलजी तक पहुंच गई है. एलजी के खिलाफ जांच के लिए आद आदमी पार्टी के एमएलए ने विधानसभा में धरना दिया. वहीं बीजेपी विधायकों का भी धरना विधानसभा में जारी रहा.
Delhi News: दिल्ली (Delhi)में एक बार फिर धरना पॉलिटिक्स का आगाज हो गया है. दिल्ली में शराब पर शुरू हुई सियासी जंग अब एलजी (Lieutenant Governor) तक पहुंच गई है. उपराज्यपाल के खिलाफ जांच की मांग को लेकर आद आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) के विधायक रात भर विधानसभा में धरने पर बैठ रहे. वहीं बीजेपी (BJP)विधायकों का भी धरना विधानसभा में जारी रहा.दोनों पार्टियां विधानसभा परिसर के बाहर रात भर अपनी मांगों के समर्थन में जुटी रहीं.आम आदमी पार्टी के विधायक ढोल की थाप पर 'रघुपति राघव राजा राम' गाते दिखे. जबकि बीजेपी वाले केजरीवाल सरकार के खिलाफ नारे लिखे पोस्टर लेकर अपनी आवाज बुलंद करते नजर आए.
आप ने उपराज्यपाल पर क्या आरोप लगाए
आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर प्रतिबंधित नोट बदलने का आरोप लगाया. उसने इस मामले की सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की है. वहीं, बीजेपी विधायकों के हाथ में 'भ्रष्ट मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन को बर्खास्त करो'लिखे पोस्टर नजर आए.सबसे बड़ी बात ये है कि रात भर दिल्ली विधानसभा के अंदर और बाहर ये सब होता रहा.कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी ने मनीष सिसोदिया के घर पर पड़े सीबीआई के छापे का काट ढूंढ रही है.
AAP ने एलजी से मांगा इस्तीफा
सोमवार को सदन की कार्यवाही के दौरान सत्तारूढ़ दल के विधायक आसन के समक्ष आ गए और आरोप लगाया कि 'घोटाला' 14 सौ करोड़ रुपये का है.उन्होंने मांग की कि सक्सेना को इस्तीफा देना चाहिए. उनकी मांग थी कि इस मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराई जानी चाहिए. आप उपराज्यपाल पर दिल्ली सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप का आरोप लगाती रही है.
बीजेपी ने कहा- विधानसभा में नहीं सुनी जा रही आवाज
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक बयान में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि पार्टी विधायक इसलिए धरने पर बैठने के लिए मजबूर हुए हैं क्योंकि विधानसभा में उनकी बात नहीं सुनी गई है.बीजेपी के सभी आठ विधायक सोमवार और शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए थे क्योंकि उन्हें दोनों दिन सदन से बाहर कर दिया गया था.
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