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Lok Sabha Election: अनुभवी सांसदों और AAP फैक्टर के बीच क्या टिक पाएंगी बीजेपी की कमलजीत सहरावत, क्या हैं चुनौतियां?

Lok Sabha Elections 2024: महाबल मिश्रा का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है और एक समय में वे कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और यहां के डाबड़ी वार्ड से उन्होंने पार्षद के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी.

Delhi Lok Sabha Election 2024: दिल्ली की सभी लोकसभा सीट पर क्लीन स्वीप की हैट्रिक लगाने के इरादे से भारतीय जनता पार्टी इस बार के प्रत्याशियों के चेहरों में बदलाव करते हुए कुछ नए चेहरों पर दांव लगाने जा रही है और काफी सोच-समझ कर सीटों पर प्रत्याशियों ने नाम की घोषणा कर रही है. अब तक बीजेपी ने दिल्ली की 7 में से 5 लोकसभा सीट पर नामों की घोषणा कर दी है, जबकि 2 के लिए अभी भी मंथन जारी है. घोषित किये गए सीटों में सिर्फ उत्तर-पूर्वी दिल्ली से वर्तमान सांसद मनोज तिवारी को तीसरी बार इस सीट से टिकट दिया गया है. 

जबकि बाकी सभी चार सीट पर बीजेपी ने वर्तमान सांसदों का टिकट काट कर नए चेहरों को मौका दिया है. अब तक घोषित सीट में पश्चिमी दिल्ली की सीट भी शामिल है, जो काफी चर्चा में है क्योंकि यहां से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके साहिब सिंह वर्मा और दो बार सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा का टिकट काट कर बीजेपी ने पूर्व मेयर रह चुकी कमलजीत सहरावत पर दांव खेला है, जबकि इंडी गठबंधन की तरफ से यहां आप ने पूर्वांचल के कद्दावर और लोगो के दिलों में राज करने वाले एक अच्छे छवि के वरिष्ठ नेता महाबल मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा है.

महाबल मिश्रा हैं पूर्वांचलियों के कद्दावर नेता
बात करें प्रत्याशियों की तो महाबल मिश्रा का राजनैतिक सफर काफी लंबा रहा है और एक समय में वे कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और यहां के डाबड़ी वार्ड से उन्होंने पार्षद के रूप में अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की और विधायक से लेकर फिर सांसद तक का सफर तय किया. हालांकि, लोकसभा में मोदी लहर और फिर आप की आंधी ने उनकी राजनैतिक जड़ को थोड़ा हिला दिया और उन्हें लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था. बाद के इनके बेटे विनय मिश्रा के आप मे शामिल होने के बाद कांग्रेस ने इन्हें भी पार्टी से निष्कासित कर दिया था. जिसके बाद वे 2022 में आप मे शामिल हो गए और अब वे पहली बार आप की टिकट पर पश्चिमी दिल्ली से एक बार फिर से अपना दम दिखाने जा रहे हैं.

जीत हासिल कर सकती है आप
बात करें इस सीट की तो यह पूर्वांचली बहुल माना जाता है, जबकि इस सीट पर करीब 15 प्रतिशत जाट मतदाता हैं, बाकी आबादी मिश्रित समुदाय वाली है. महाबल मिश्रा की पूर्वांचलियों में गहरी पैठ मानी जाती है, जिस वजह से इस बार उनका दावा काफी मजबूत नजर आ रहा है. कहा जाता है कि वे ऐसे जन नेता हैं कि अपने क्षेत्र की जनता की जरूरत में हमेशा ही खड़े नजर आते हैं. आम जनों से जमीनी जुड़ाव और उनके लिए किए गए कार्यों की वजह से इस क्षेत्र की जनता के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं. उनकी यही लोकप्रियता, अनुभव और मतदाताओं में उनकी पकड़ के साथ बीजेपी के प्रति इस क्षेत्र के लोगों की नाराजगी का फायदा उठाने के लिए इंडी गठबंधन और आप ने महाबल मिश्रा पर दांव खेला है, जो कहीं न कहीं आप के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है.

महाबल के बल से पार पाना होगी बड़ी चुनौती
वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी की कमलजीत सहरावत पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही हैं. वे दिल्ली प्रदेश बीजेपी की महामंत्री हैं. इसके अलावा वह प्रदेश बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष रहने के साथ ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं. वह द्वारका बी से दूसरी बार पार्षद चुनी गई हैं. वर्ष 2007 में उन्हें नजफगढ जिला उपाध्यक्ष बनाया गया था. उसके बाद से वह संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रही है. वर्ष 2008 में मटियाला विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने विधायकी का चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें इसमें हार का सामना करना पड़ा था. 

लोगों की मिलीजुली आ रही है प्रतिक्रिया सामने 
52 वर्षीया सहरावत ने एम कॉम एवं लॉ की पढ़ाई की है. पार्टी ने उन्हें पश्चिमी दिल्ली से उतारकर जाट मतदाताओं के साथ ही महिलाओं को साधने की कोशिश की है. हालंकि बीजेपी का यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है, क्योंकि पार्षद के रूप में द्वारका के लोग इनसे ज्यादा खुश नहीं हैं, और इन्हें लेकर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. जबकि दूसरी तरफ महाबल मिश्रा की छवि साफ-सुथरी और लोकप्रिय पूर्वांचली नेता की है. बीजेपी ने भले ही उनके लंबे राजनैतिक अनुभव का लाभ लेने और जाट समेत महिला मतदाताओं को लुभाने के नजरिये से उन पर दांव लगाया है.

भारी नजर आ रहे हैं महाबल मिश्रा
लेकिन फिलहाल इन सभी मामलों में महाबल मिश्रा, बीजेपी की प्रत्याशी कमलजीत सहरावत पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. न केवल अनुभव, बल्कि मतदाताओं के बीच उनकी पकड़ और उनके किये गए कार्यों की फेहरिस्त सहरावत की तुलना में कहीं ज्यादा लंबी है जो इंडिगठबंध और आप के पक्ष में जाती है. हालांकि, इनमें से कौन अपने सकारात्मक पहलुओं को अधिक से अधिक मत में तब्दील कर जीत हांसिल कर पाता है. यह तो चुनावी गर्भ में हैं और आने वाले दिनों में ही साफ हो पायेगा. लेकिन वर्तमान आंकलन के आधार पर यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यहां से महाबल मिश्रा फिलहाल बीजेपी की सहरावत पर भारी नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Lok Sabha Elections: नई दिल्ली सीट पर वकील बनाम वकील मुकाबला, AAP प्रत्याशी ने बांसुरी स्वराज को लेकर बीजेपी पर कसा तंज

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