Delhi Mayor Election: MCD पीठासीन अधिकारी पर इस बार भी होगा खेला? BJP नेता ने किया इस बात का दावा
MCD Mayor Chunav: दिल्ली बीजेपी नेता का कहना है कि मंत्री सौरभ भारद्वाज और मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय को डीएमसी अधिनियम 2022 की धारा 77 फिर से अध्ययन करने की जरूरत है.
Delhi LG Appoints MCD Presiding Officer: दिल्ली नगर निगम मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव तीन दिन बाद होगा, लेकिन उससे पहले एमसीडी सदन का संचालन करने के लिए पीठासीन अधिकारी का भी चयन होना है. एमसीडी पीठासीन अधिकारी के लिए दिल्ली सरकार ने वरिष्ठ नेता और छठी बार पार्षद चुने गए मुकेश गोयल का नाम एलजी विनय सक्सेना के पास भेज रखा है. इस बीच दिल्ली बीजेपी नेता ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया कि जरूरी नहीं है कि दिल्ली सरकार की ओर से प्रस्तावित नाम को ही एलजी पीठासीन अधिकारी बनाएं.
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि यह खेदजनक है कि एमसीडी मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी के मुद्दे पर भी आम आदमी पार्टी नेता लगातार भ्रामक बयान दे रहे हैं। दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज और मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय को डीएमसी अधिनियम 2022 की धारा 77 का एक बार फिर अध्ययन करने की जरूरत है. डीएमसी एक्ट की धारा 77 के मुताबिक केवल प्रशासक यानी उपराज्यपाल मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने के लिए अधिकृत हैं।
प्रवीण शंकर कपूर का कहना है कि डीएमसी एक्ट में कहीं पर यह नहीं लिखा है कि निगम के वरिष्ठतम पार्षद को ही पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए. अधिनियम में साफ उल्लेख है कि एलजी किसी भी पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं. बीजेपी नेता के इस बयान से साफ है कि एक बार फिर पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने के मसले पर एलजी विनय सक्सेना दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा सकते हैं. इससे पहले भी मेयर चुनाव के दौरान मुकेश गोयल को एलजी ने पीठासीन अधिकारी बनाने से इनकार कर दिया था.
क्या है DMC Act की धारा 77?
दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 77 के अनुसार एमसीडी मेयर चुनाव के लिए एलजी एक पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं. पीठासीन अधिकारी उसी पार्षद को बनाया जाएगा जो मेयर पद के प्रत्याशी नहीं होंगे. महापौर प्रत्याशियों को समान मत मिलने की स्थिति में पीठासीन अधिकारी अपने मत का प्रयोग करेंगे, लेकिन उनका मत किसके पक्ष में जाएगा, इसका फैसला उम्मीदवारों की उपस्थिति में लॉटरी के जरिए होगा. जिस उम्मीदवार के पक्ष में लॉटरी का वोट जाएगा, उसी प्रत्याशी को अतिरिक्त वोट का हकदार माना जाएगा.
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