Delhi Politics: दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी (Ramvir singh Bidhuri) ने कहा है कि उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार को शिक्षा के मॉडल ( Delhi Education Model) पर आइना दिखाने के बाद आप नेताओं की बौखलाहट इतनी बढ़ गई है कि वे सारी मर्यादाएं ही भूल गए हैं. सीएम अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में उपराज्यपाल के प्रति असम्मानजनक और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. अब उसी राह पर आप सांसद संजय सिंह चल पड़े हैं. उन्होंने कहा कि जनता आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं की बाजारू भाषा से बहुत निराश और आहत है. बिधूडी ने केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि आप सरकार अपने शिक्षा मॉडल पर एक दिन का विधानसभा सत्र बुलाए. उस सत्र में केवल एजुकेशन मॉडल पर चर्चा कराए. शर्त यह है कि उसमें विपक्ष को भी बोलने का अवसर दे.
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा विधानसभा में उठाए गए सवालों के जो जवाब दिए हैं, उससे उन्होंने दिल्ली के शिक्षा मॉडल (Delhi government Education Model) की असलियत जनता के सामने रख दी है. दिल्ली में 2012-13 में सरकारी स्कूलों में छात्रों की अटेंडेंस 70 फीसदी से ज्यादा थी जो अब घटकर 60 फीसदी रह गई है. दिल्ली के स्कूलों में छात्रों की संख्या में तेजी से कमी आई है जबकि दिल्ली सरकार छात्र बढ़ने का झूठा दावा करती है. डीडीए ने दिल्ली के एजुकेशन विभाग को स्कूल बनाने के लिए 13 प्लॉट दिए, लेकिन दिल्ली सरकार एक भी नया स्कूल दिल्ली को नहीं दे पाई. नेशनल अचीवमेंट सर्वे में दिल्ली आठवें स्थान पर लुढ़क गई और इस साल दसवीं क्लास के नतीजे भी 82 फीसदी पर आ गए.
बीजेपी नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल और आप नेताओं को स्कूलों पर झूठा प्रचार करने की बजाय उसमें सुधार के प्रयास करने चाहिएं, लेकिन इसकी बजाय वे बौखलाहट में भ्रामक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार आखिर कैसे शिक्षा के मॉडल पर इतरा सकती है. जबकि दिल्ली सरकार के 700 स्कूलों में 11वीं एवं 12वीं क्लास में सांइस और कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होती. डॉक्टर, इंजीनियर या सीए कैसे बनेंगे? सरकारी स्कूलों में नौवीं क्लास में 38 फीसदी बच्चों को और 11वीं क्लास में 19 फीसदी बच्चों को फेल कर दिया जाता है. ताकि बोर्ड परीक्षाओं में दिल्ली के नतीजे सुधरे हुए दिखाई दे सकें. बड़ी बात यह है कि फेल किए बच्चों को स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया जाता और उनमें से तीन चौथाई बच्चे पढ़ाई ही छोड़ देते हैं.
745 स्कूलों में नहीं हैं प्रिंसिपल, टीचर्स के 24,500 पद खाली
दिल्ली सरकार के 745 सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल और 418 स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल नहीं हैं. शिक्षकों के 24,500 पद खाली पड़े हैं. आप नेता गेस्ट टीचर्स के हमदर्द बनते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि 22 हजार गेस्ट टीचर्स की भर्ती की गई थी, उनमें से कई हजार टीचर्स की नौकरी चली गई. आज तक किसी एक गेस्ट टीचर को पक्का नहीं किया गया और न ही उनकी सैलरी बढ़ाने की कोई कोशिश की गई.
माफी मांगे AAP के ये नेता
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को फिनलैंड में ट्रेनिंग के मामले में बिधूड़ी ने सुझाव दिया कि अगर ट्रेनिंग इतनी ही जरूरी है तो हजारों शिक्षकों को फिनलैंड भेजने की बजाय वहां से एक्सपर्ट्स को दिल्ली बुलाकर हजारों शिक्षकों को एक साथ ट्रेनिंग क्यों नहीं करा दी जाती. दिल्ली सरकार इस मामले पर केवल टकराव के लिए मुद्दा बना रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल, आप सांसद संजय सिंह और दिल्ली विधानासभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल समेत आप के सभी नेता सार्वजनिक रूप से उपराज्यपाल के प्रति किए गए अपमानजनक व्यवहार पर माफी मांगें. अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी.
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