Delhi News: लोकसभा चुनाव चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे ही बीजेपी का हमला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बढ़ता जा रहा है. दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और विधानसभा सदस्य विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम केजरीवाल के हेल्थ मॉडल पर को लेकर हमला बोला है. उन्होंने केजरीवाल सरकार के हेल्थ मॉडल में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का पर्याय है. 


विजेंद्र गुप्ता ने स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन के कार्यकाल की चर्चा करते हुए कहा कि उनके समय मे दिल्ली सरकार के 17 सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में एमडी—एमएस और विभागाध्यक्षों की नियुक्ति में योग्यता की अनदेखी की गई. उस दौरान भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हुए उन्होंने आप के प्रति सहानुभूति रखने वाले व्यक्तियों को जमकर फायदा पहुंचाया. 


7 माह से नहीं हुए एनसीसीएसए की बैठक


सीएम अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की बैठक 20 सितंबर, 2023 से नहीं हुई है. अब, जब इन नियुक्तियों में बदलाव होने वाला है, तो पूरी नियुक्ति प्रक्रिया रुक गई है. बीजेपी नेता गुप्ता के मुताबिक डीजीएचएस, लोक नायक अस्पताल, जीपी पंत अस्पताल, बीएसए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल, डीडीयू अस्पताल, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, दीप चंद बंधु अस्पतालों में आम आदमी पार्टी के पक्षपात नीति का असर सबसे ज्यादा हुआ. 


केजरीवाल सरकार की गलत नीतियों का असर भगवानमहावीर हॉस्पिटल, डाॅ.हेजवार आरोग्य संस्थान अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, राव तुला राम अस्पताल, आचार्य श्री बिकाशु अस्पताल और महर्षि वाल्मिकी अस्पताल पर भी देखने को मिला.


11 अहम परियोजनाओं को लटकाने का आरोप


उन्होंने, सीएम केजरीवाल के पास लंबित 11 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर गंभीर चिंता जताई. इनमें वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन दास जैसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शामिल है, जो भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जांच के दायरे में हैं. उन्होंने सीएम पर जान बूझकर निष्क्रियता का आरोप लगाया, जिससे अधिकारी के खिलाफ आवश्यक आपराधिक कार्यवाही शुरू करने में बाधा उत्पन्न हुई.


केंद्रीय योजनाओं में बाधा डालने का आरोप


विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों से जन औषधि केंद्रों को जान बूझकर बाहर करने के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह एक ऐसा कदम है जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 80% छूट से रोकता है. आप सरकार द्वारा दिल्ली के लोगों को इन जेनेरिक दवाओं से होने वाले वित्तीय फायदे को उठाने से रोका गया. पूरे भारत में, 11,000 जन औषधि केंद्रों से गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों की दवाओं में खर्च होने वाले 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है. बावजूद इसके दिल्ली सरकार केंद्र सरकार की इस योजना के तहत दिल्ली सरकार के सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्रों की स्थापना को लेकर अनिच्छा जाहिर कर रही है. 


एनआईसी सिस्टम को लागू करने में विफल


इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) प्रणाली जो एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है और रोगी के दौरे, दवा की उपलब्धता और नैदानिक सेवाओं पर वास्तविक समय डेटा प्रदान करके स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है को लागू करने में आप सरकार की विफलता की भी आलोचना की. गुप्ता ने कहा कि यह प्रणाली, जो पहले से ही केंद्र सरकार और अन्य राज्यों द्वारा अपनाई गई है, दिल्ली में स्पष्ट रूप से अनुपस्थित है, जिससे स्वास्थ्य सेवा में पारदर्शिता के प्रति AAP सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठते हैं.


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