Delhi Power Subsidy Audit: दिल्ली नगर निगम मेयर चुनाव से ठीक छह दिन पहले प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने एक बार फिर अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी नेताओं का आरोप है कि पावर सब्सिडी आडिट दिल्ली की जनता के साथ एक छलावा है. दिल्ली की जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी. बुधवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक बार फिर दिल्ली सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि सीएम केजरीवाल की सरकार शराब स्कैम के बाद अब पावर सब्सिडी स्कैम में फंसती दिख रही है.


वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि पावर सब्सिडी आडिट कराकर सीएम केजरीवाल लीपापोती करने की मुहिम में जुटे हैं. हकीकत यह है कि पावर सब्सिडी स्कैम जनता को गुमराह करने का जरिया है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि निजी आडिटरों की रिपोर्ट को पावर डिस्कॉम एवं सरकार मिल कर आसानी से प्रभावित कर सकती है. सीएजी एमपेनल्ड निजी आडिटरों से पावर डिस्कॉम का सब्सिडी आडिट एक छलावा है. दिल्ली की जनता और बीजेपी इसे कभी स्वीकार नही करेगी. 



BJP चलाएगी पोल-खेल अभियान 


दिल्ली बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता पावर सब्सिडी के खिलाफ गली-गली में जाकर पोल खोल अभियान चलाएगी. वीरेंद्र सचदेवा का दावा है कि यह कैसे मुमकिन है कि जिस सब्सिडी स्कैम में दिल्ली सरकार एवं आम आदमी पार्टी एवं निजी कम्पनियों के हित जुड़े हों, उसकी आडिट रिपोर्ट निजी आडिटर बनाए और तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दे. विगत 6 साल से पावर डिस्कॉम के आडिट को लेकर दिल्ली सरकार का डाला हुआ एक मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी लंबित है. अभी इस मसले पर तारिख ही नहीं पड़ी है. केजरीवाल सरकार ने आज तक उसमें तारीख लगवाने के लिए कोई कानूनी प्रयास भी नहीं किए.


'ऑडिट के पीछे की हकीकत कुछ और है'


बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि डिस्कॉम बोर्ड में AAP नेताओं की नियुक्ति की पोल खुलने के बाद से यह सवाल उठता रहा है कि पावर डिस्कॉमों को दी गई सब्सिडी का एक हिस्सा क्या किसी ना किसी रूप में आम आदमी पार्टी को वापस मिलता रहा है. सच यह है कि पावर डिस्कॉम में दिल्ली सरकार एवं निजी कम्पनियां बराबर की भागीदार हैं.  वहीं दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पत्रकारों से कहा कि पिछले छह वर्ष की अवधि के दौरान दिल्ली सरकार ने बिजली कंपनियों को 13,549 करोड़ रूपये की सब्सिडी दी. दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2021-22 तक की अवधि के लिए ऑडिट कराने का फैसला भी लिया, लेकिन हकीकत कुछ और है. सच ये है कि दिल्ली सरकार बिजली कंपनियों की हितैषी बनी हुई है.


यह भी पढ़ें: Delhi सरकार का बड़ा फैसला, राजस्व और आईटी विभाग सहित 16 विभागों के 70 नियम हमेशा के लिए खत्म