I Love Manish Sisodia: आतिशी और आरोपी अधिकारियों पर लटकी तलवार, NCPCR की पहल के बाद BJP ने की इस बात की मांग
I Love Manish Sisodia Campaign News: सियासी मामले में बच्चों का इस्तेमाल किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75, धारा 83 और आईपीसी के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन है.
NCPCR Action Against Atishi Singh: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो द्वारा आप विधायक आतिशी सिंह के खिलाफ जांच का आदेश देने का दिल्ली भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है. बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण कपूर ने कहा है कि इस मामले से जुड़े स्कूल प्रशासन के दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग की है. इसके साथ ही दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता ने आप द्वारा सरकारी स्कूलों में “आई लव मनीष सिसोदिया” अभियान चलाकर बच्चों को मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरुद्ध पत्र लिखने एवं कार्ड बनाने के लिए बाध्य किए जाने की निंदा की है.
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर का कहना है कि बीजेपी द्वारा बीती रात ही “आई लव मनीष सिसोदिया” अभियान पर आपत्ति दर्ज कराई थी. उसके बाद भी आप ने हठधर्मी दिखाई और बच्चों का राजनीतिक गतिविधि में दुरुपयोग किया. यह अत्यंत दुखद है कि दिल्ली सरकार की प्रस्तावित मंत्री आतिशी एवं आप नेता जैस्मिन शाह आदि ने बच्चों की तस्वीरें ट्वीट कर तय कानूनों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया.
आतिशी पर लगे ये आरोप
बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का स्पष्ट आदेश है कि बच्चों की सियासी मामलों में शामिल नहीं किया जा सकता. ना ही उनकी तस्वीरें छापी जा सकती हैं. यही वजह है कि एनसीपीसीआर ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजकर आतिशी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. एनसीपीसीआर ने बताया कि उन्हें एक शिकायत प्राप्त हुई है, जिसमें यह सूचित किया गया है कि आतिशी सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर कुछ तस्वीरें अपलोड की हैं, जिसमें नाबालिग बच्चे स्कूलों में मनीष सिसोदिया के लिए पोस्टर पकड़े नजर आ रहे हैं. उनके खिलाफ आरोप है कि दिल्ली शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई द्वारा चल रही जांच से ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत एजेंडे को आगे बढ़ाया है. यह किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 और धारा 83 और आईपीसी के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन है. आयोग ने दिल्ली पुलिस से मामले की गंभीरता को देखते हुए आतिशी सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर 3 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है.