केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली एमसीडी के एकीकरण पर मुहर लगा दी है. जल्द ही यह विधेयक लोकसभा में पेश हो सकता है. हालांकि दिल्ली एमसीडी में बीजेपी का शासन है लेकिन फिर भी दिल्ली नगर निगम के एकीकरण से उसे क्या फायदा होगा. दिल्ली नगर निगम के एकीकरण से फिर से नगर निगम में 10 साल पुरानी व्यवस्था लागू हो जाएगी.


बीजेपी आखिर दिल्ली नगर निगम एकीकरण पर इतना जोर क्यों दे रही है, इसका साफ मतलब है कि वह दिल्ली में सीएम की बराबरी पर जाना चाहती है. साल 2012 में दिल्ली कांग्रेस की सरकार थी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांट दिया था, जिसका बीजेपी ने काफी विरोध किया था. 


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बीजेपी को मिलेगा ये फायदा


दिल्ली एमसीडी पर बीजेपी का शासन है, लेकिन उसका आरोप है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार निगम को फंड नहीं देती है. अगर दिल्ली में तीनों निगम एक होंगे तो इसका एक ही मेयर होगा और उस मेयर की ताकत दिल्ली के मुख्यमंत्री के लगभग बराबर रहेगी. सीधी बात है क्योंकि दिल्ली विधानसभा में बीजेपी काफी पीछे रहती है, इसलिए एमसीडी के जरिए केजरीवाल सरकार को बीजेपी कमजोर करेगी. अगर इस बार भी दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीजेपी जीतेगी तो वह दिल्ली सरकार को कमजोर करने की रणनिति निगम के जरिए बनाएगी.


इसके साथ ही कुछ राजनीति मायने भी हैं अगर दिल्ली नगर निगम में एक ही मेयर होगा तो इससे मुख्यमंत्री की ताकत भी कमजोर रहेगी. माना ये भी जा रहा है कि दिल्ली में इस बार निगम में दिल्ली सरकार की दखल कम करने के लिए मेयर इन काउंसिल की व्यवस्था भी की जाएगी. बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार फंड नहीं देती है इस वजह से नगर निगम के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहते हैं.