Delhi News: ब्लड कैंसर, एप्लास्टिक एनीमिया व थैलीसीमिया जैसी बीमारियों का स्थायी इलाज बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर किया जा सकता है, लेकिन संसाधनों के आभाव और दक्ष डॉक्टरों की कमी की वजह से सरकारी अस्पतालों में अब तक बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. वर्तमान में दिल्ली एम्स को छोड़कर आम लोगों से जुड़े किसी अन्य सरकारी अस्पताल में यह सुविधा नहीं है। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, सफदरजंग सहित चार सरकारी अस्पतालों में बोनमैरो ट्रांसप्लांट शुरू किया जाना था, लेकिन अभी तक इसकी योजना फाइलों में ही लंबित पड़ी है.


इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के ज्यादातर मरीज बोनमैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ने पर या तो इलाज से वंचित रह जाते हैं, या फिर निजी अस्पतालों में इलाज करावने के लिए कर्ज के बोझ तले दबना पड़ जाता है.


कैंसर संस्थान में भी नहीं है बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा
जब राजधानी दिल्ली के अस्पतालों का यह हाल है तो दूसरी जगहों पर क्या स्थिति होगी, इसी से अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. यह इलाज इतना महंगा है कि निजी अस्पतालों में इसका खर्च आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीज नहीं उठा सकते. एम्स के कैंसर सेंटर के बाद दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान राजधानी में कैंसर के इलाज के लिए समर्पित एक मात्र अस्पताल है, फिर भी इसमें अब तक बोनमैरो ट्रांसप्लांट नहीं होता है. अस्पताल प्रशासन ने एक वर्ष पहले बोनमैरो ट्रांसप्लांट शुरू करने की पहल की थी. लेकिन इस अस्पताल में एक भी दक्ष डाक्टर नहीं है जो बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर सके. इस वजह से यहां भी अब तक यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई है.


सफदरजंग अस्पताल में नवंबर में शुरू हुई पहल अभी भी फाईलों में बंद
सफदरजंग अस्पताल में काफी समय से हीमेटोलाजी विभाग है. इसके अलावा मेडिकल आंकोलाजी विभाग भी है. अस्पताल ने पिछले वर्ष नवंबर में बोनमैरो ट्रांसप्लांट शुरू करने की पहल भी की थी लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी अब तक इसकी शुरूआत नहीं हो पाई है. हालांकि, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. बीएल शेरवाल का कहना है कि अस्पताल के हीमोटोलाजी विभाग में बोनमैरो ट्रांप्लान्ट के लिए दो सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर व मेडिकल आंकोलाजी विभाग में एक डाक्टर मौजूद है और इस महीने के अंत तक ब्लड कैंसर के मरीजों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलने लगेगी.  


स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2 अन्य अस्पतालों के लिये भी दिए थे निर्देश
वहीं तीन महीने पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज व आरएमएल अस्पताल में भी यह सुविधा शुरू करने का निर्देश दिया था. लेकिन इन दोनों अस्पतालों में अब तक होमेंटोलाजी व मेडिकल आंकोलाजी के विभाग ही नहीं है. इसलिए इन दोनों अस्पतालों में भी कोई डॉक्टर नहीं है जो बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर सके. लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज प्रशासन का कहना हैं कि बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए 25 डाक्टरों की टीम तैयार की जाएगी. जिसमें हीमोटोलाजी, मेडिकल आंकोलाजी, पीडियाट्रिक के विशेषज्ञ डाक्टर शामिल होंगे. डाक्टरों के पद को सृजित करने के लिए फाइल केंद्र सरकार को भेजी गई है. उम्मीद है कि तीन महीने में डाक्टरों की नियुक्ति के लिए स्वीकृति मिल जाएगी. इसके बाद नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी. अस्पताल प्रशासन के अनुसार, इस महीने के अंत तक लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज में ब्लड कैंसर व थैलेसीमिया के मरीजों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलने लगेगी. वही, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. किशोर सिंह ने कहा कि डॉक्टर की नियुक्ति की स्वीकृति नहीं मिलने से बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है. 


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