Booster Dose: वैक्सीन लेने के बाद भी क्यों हो रहा ओमिक्रोन, बूस्टर डोज और प्रिकॉशन डोज में कोई अंतर है? यहां जानें
एलएनजेपी अस्पताल के एमडी डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया प्रिकॉशन डोज अलग नहीं है. जो वैक्सीनेशन के बाद अलग से लगाई जाने वाली वैक्सीन जो शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना दे.
Booster Dose: कोरोना वायरस के खतरे को बढ़ता हुआ देखकर सरकार ने देश में बूस्टर डोज लगाने का फैसला किया था. फिलहाल यह बूस्टर डोज हेल्थ वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर और 60 साल से ऊपर के बीमार बुजुर्गों को लगाई जा रही है. देश मे तेजी से बूस्टर डोज लगाने की प्रक्रिया शुरू तो हो गयी लेकिन अब भी लोगों के मन में ये सावल जरूर है कि आखिर ये बूस्टर डोज है क्या, और ये शरीर में जाकर करती क्या है. कई लोग बूस्टर डोज और प्रिकॉशन डोज में कंफ्यूज भी हैं.
बूस्टर और प्रिकॉशन डोज में अंतर
कई लोग अब तक बूस्टर डोज और प्रिकॉशन डोज को अलग अलग मानते हैं. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बूस्टर डोज को प्रिकॉशन डोज कहा था जिसके बाद से यह चर्चा में आ गया था और कई लोग इसे अलग-अलग मानने लगे थे लेकिन एलएनजेपी अस्पताल के एमडी डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया प्रिकॉशन डोज अलग नहीं है. यह एक ही है. यानी जो वैक्सीनेशन के बाद अलग से लगाई जाने वाली वैक्सीन जो शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना दे उसको ही बूस्टर डोज या प्रिकॉशन डोज कह सकते हैं.
बूस्टर डोज क्यों है प्रभावी?
इस सवाल का जवाब हमने एक्सपर्ट्स से लिया इसको लेकर इंडियन असोसिएशन के सचिव अनिल गोयल ने बताया कोरोना का इलाज तो नहीं है लेकिन वैक्सीन लोगों को कोरोना के गंभीर प्रभाव से बचा रही है. ऐसे में बूस्टर डोज शरीर में कोरोना के खिलाफ लड़ने की क्षमता को बढ़ाएगा. फिलहाल बूस्टर डोज उन्हें दिया जा रहा है जिन्हें 9 महीने पहले वैक्सीन लगी. ये वैक्सीन शरीर मे कम से कम 6 महीने के लिए एंटीबाडी बनाती है. ऐसे में बूस्टर डोज नए वेरिएंट से लड़ने में मदद करेगा. उन्होंने बताया कि बूस्टर डोज वैक्सीन के पहले दोनों डोज जैसी ही है.
वैक्सीन लेने के बाद क्यों हो रहा है ओमिक्रोन?
एलएनजेपी के एमडी डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कोरोना एक वायरस है, जिसमें डीएनए नहीं होता बल्कि आरएनए है ऐसे में यह वायरस काफी जल्दी म्युटेशन करता है. ओमिक्रोन वेरिएंट में 32 बार म्यूटेशन हुई है. ऐसे में जो वैक्सीन लगाई जा रही है वो असरदार तो है पर म्युटेशन की वजह से शरीर नए वेरिएंट को ले कर कंफ्यूज हो जाता है. ये शरीर पर अटैक कर देता है लेकिन वैक्सीन लगाने से वायरस का असर कम रहता है.
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