भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में निचली अदालत की कार्यवाही को रद्द करने की अर्जी दी है. उन्होंने छह महिला पहलवानों की तरफ से दर्ज कराए गए यौन उत्पीड़न मामले में तय की एफआईआर और आरोपों की रद्द करने की अपील की है. जस्टिट नीना बंसल याचिका पर गुरुवार (29 अगस्त) को सुनवाई करेंगी.
अपनी याचिका में पूर्व डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने मामले में आरोप तय करने से संबंधित एफआईआर, आरोप पत्र और ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.
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इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने डब्ल्यूएफआई के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को बुधवार को चार सप्ताह का समय और दे दिया. केंद्र ने निर्णय लेने में स्वयं के संविधान के प्रावधानों का कथित तौर पर पालन नहीं करने को लेकर नए पदाधिकारी चुने जाने के तीन दिन बाद 24 दिसंबर, 2023 को डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था और आईओए से इससे संबंधित मामलों के प्रबंधन के लिए एक तदर्थ समिति गठित करने का अनुरोध किया था.
केंद्र ने उस याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय और मांगा, जो पहली बार अप्रैल में सुनवाई के लिए आई थी. केंद्र ने कहा कि वह पिछले साल डब्ल्यूएफआई में हुए चुनाव को चुनौती देने वाली कुछ पहलवानों की याचिका पर हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा था. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि केंद्र को अदालत के पहले के निर्देशों की ‘‘परवाह’’ नहीं है, जिनमें उसे जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था.
याचिकाकर्ता ने कहा कि अनिश्चितकालीन निलंबन का आदेश कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना दिया गया था. याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से इस स्तर पर एक अंतरिम आदेश पारित करने का आग्रह किया. हालांकि, न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि दलीलें पूरी हुए बिना अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यहां अंतरिम आदेश देने का कोई सवाल ही नहीं है. दलीलों के बिना, मैं ऐसा नहीं कर सकता.’’