Budget Session 2022: सरकार ने बुधवार को कहा कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के तहत 2014-15 से 2020-21 तक कुल 683.05 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं जिनमें 401.04 करोड़ रुपये यानी 58 प्रतिशत राशि प्रचार पर खर्च की गई है.

राज्यसभा में प्रश्नकाल दौरान दिया जबाब
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि ' बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का मकसद घटते बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) तथा पूरे जीवन चक्र में लड़कियों और महिलाओं के सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है. स्मृति ईरानी ने कहा कि, "वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2020-21 तक 683.05 करोड़ रुपये के कुल व्यय में से मीडिया एडेवोकेसी कैंपेन (प्रचार अभियान) पर 401.04 करोड़ रुपये का व्यय हुआ है जो कुल व्यय का 58 प्रतिशत है."

लड्कियों की शिक्षा सहित अन्य अधिकारो पर किया जा रहा जा जागरुक
ईरानी ने कहा कि सामुदायिक भागीदारी, जन्म के समय लिंग के चयन पर रोक और बालिकाओं की शिक्षा और विकास में मदद के लिए, सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से बेटियों के अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी स्तरों पर इस योजना के तहत लगातार प्रयास किए जाते हैं. राज्यों के मंत्रियों और अधिकारियों, आकांक्षी जिलों तथा महिलाओं के विरुद्ध अपराध की सबसे अधिक दर वाले 100 जिलों के साथ मंत्रीस्तरीय समीक्षा बैठकों का आयोजन किया गया है.
दिया जा रहा स्वभाव परिवर्तन पर जोर
स्मृति ईरानी ने कहा कि शुरूआती दौर में, जागरुकता फैलाने पर बल देने के लिए और बेटियों को महत्व देने की दिशा में समाज की सोच में परिवर्तन लाने के लिए मीडिया और 'एडवोकेसी' पर जोर दिया गया है. पिछले दो वर्षों में, केंद्रीय स्तर पर 'मीडिया एडवोकेसी' अभियान पर खर्च में काफी गिरावट आई है और अब स्वभाव परिवर्तन संपर्क पर जोर दिया जा रहा है.


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