CAA News: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर करारा प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए. अरविंद केजरीवाल ने कहा, ''पूरे देश की मांग है कि CAA वापस लिया जाए. अगर बीजेपी नहीं मानती और इसको वापस नहीं लेती है तो बीजेपी के खिलाफ वोट करके आप अपना गुस्सा जाहिर करें.''
उन्होंने बुधवार (13 मार्च) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''10 साल में कुछ अच्छा काम बीजेपी वाले कर लेते तो ये नहीं करना पड़ता. बेरोजगारी चरम पर है. बीजेपी की सरकार से हमारे बच्चों को घर दिया नहीं जा रहा है और पाकिस्तान के लोगों को यहां घर देंगे. बीजेपी ऐसा क्यों कर रही है?''
आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, ''ये पूरा खेल चुनाव को लेकर है. इन लोगों को यहां बसा कर बीजेपी वाले अपना वोट बैंक तैयार कर रहे हैं. पिछले 10 सालों में बहुत उद्योगपति भारत छोड़कर चले गए. अगर चाहिए तो इनको लेकर वापस आओ, तााकी रोजगार बढ़े. ये देश के लिए बड़ा खतरनाक फैसला है.''
पाकिस्तान और बांग्लादेश का जिक्र
उन्होंने कहा कि बात यह है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भारत आने के लिए बीजेपी ने दरवाजे खोल दिए हैं. यह देश के लिए बहुत खतरनाक है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा आज उत्तर पूर्वी राज्य खासतौर से असम के लोग भुगत रहे हैं. असम के लोग सीएए से बहुत नाराज हैं.
'महंगाई और बेरोजगारी की बात करे सरकार'
सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीएए को लेकर कहा कि देश में महंगाई हो रही है और हमारे देश के युवा दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. रोजगार के लिए और उनके ऊपर डंडे बरसाए जा रहे हैं. ऐसे में सरकार महंगाई और बेरोजगारी का समाधान ढूंढने की बजाय सीएए की बात कर रही है.
सीएम ने पूछा- ये सीएए आखिर है क्या?
सीएम ने केंद्र सरकार तंज कसते हुए कहा कि ये CAA आखिर क्या है? बीजेपी की केंद्र सरकार का कहना है कि तीन देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से अल्पसंख्यक अगर भारत की नागरिकता लेना चाहें, तो उनको दे दी जाएगी. इसका मतलब बड़ी संख्या में इन देशों से अल्पसंख्यकों को लाया जाएगा और उन्हें रोजगार दिए जाएंगे. उनके लिए घर बनाए जाएंगे. उनको यहां बसाया जाएगा. यह अजीब बात है ना?
- सीएए पर सीएम अरविंद केजरीवाल की प्रमुख बातें:
बीजेपी की केंद्र सरकार से हमारे बच्चों को रोजगार नहीं दे रही, लेकिन पाकिस्तान से उनके बच्चों को लाकर रोजगार देना चाहते हैं. भारत के ढेर सारे लोग बेघर हैं, लेकिन बीजेपी वाले पाकिस्तान से लोगों को लाकर उनको बसाना चाहते हैं. - अब भारत सरकार का जो सरकारी पैसा हमारे विकास पर खर्च होना चाहिए वह पैसा पाकिस्तानियों को भारत में बसाने पर खर्च किया जाएगा.
- इन देशों में लगभग ढाई से 3 करोड़ अल्पसंख्यक हैं. जैसे ही भारत के दरवाजे खोलेंगे भारी भीड़ हमारे भारत में आ जाएगी.
- अगर 3 करोड़ में से डेढ़ करोड़ लोग भी भारत आ गए तो कौन देगा इनको रोजगार कहां बसाएंगे इनको?
- आखिर बीजेपी ऐसा क्यों कर रही है मैं बहुत से लोगों से बात की.
- पूरा का पूरा खेल वोट बैंक बनाने की गंदी राजनीति है, इन तीनों देशों से डेढ़ से 2 करोड लोगों को भारत ले आया गया और उनको चुन-चुनकर देश के अलग-अलग भागों में बसाया गया. ताकि जहां बीजेपी के वोट कम है, वहां झुग्गी डालकर इनको बसाया जाएगा और बीजेपी के वोट तैयार हो जाएंगे.
- इस बार के चुनाव में तो नहीं लेकिन आगे के चुनाव में बीजेपी को इसका बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है. ऐसा लोगों का कहना है. मुझे नहीं पता यह सच है या गलत.
- सबसे बड़ा प्रश्न है कि भाजपा ऐसा क्यों कर रही है? बीजेपी वाले पूरी दुनिया से उल्टा चल रहे हैं पूरी दुनिया में कोई भी देश अपने पड़ोसी देश के गरीबों को अपने घर नहीं लाना चाहता बल्कि उनको रोकने के लिए हर देश तरह-तरह के कानून बनता है. बॉर्डर पर दीवारें और तारें लगाई जाती हैं.
- बीजेपी पूरी दुनिया की अकेली पार्टी है, जो पड़ोसी देश के गरीबों को अपने देश में घुसाने के लिए दरवाजे खोल रही है. पिछले 10 साल में 11 लाख से ज्यादा बड़े-बड़े उद्योगपति और व्यापारी भारत छोड़कर जा चुके हैं.
- यह लोग भारत में इंडस्ट्री चलाते थे. व्यापार करते थे और लाखों लोगों को नौकरी और रोजगार देते थे. ये लोग बीजेपी की गलत नीति और अत्याचार के चलते भारत छोड़कर चले गए. अगर बीजेपी लाना चाहती है तो इन लोगों को वापस लेकर आए.यह लोग भारत आएंगे तो भारत में निवेश करेंगे हमारे बच्चों को रोजगार मिलेगा.
- अगर बीजेपी नहीं मानती है और सीएए को वापस नहीं लेती है तो बीजेपी के खिलाफ वोट करके आप अपना गुस्सा जाहिर करें.
- केंद्र सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अधिसूचना जारी की थी. अधिसूचना जारी होते ही यह कानून देश भर में लागू प्रभाव में आ गया है. संसद के दोनों सदनों से यह कानून चार साल पहले हुआ था. उसी समय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस कानून को अपनी मंजूरी दे दी थी.