CAA Rules Notification: देश में सीएए लागू होने के बाद दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि ये नागरिकता देने का कानून है, लेने का नहीं है. जो हमारे पड़ोस के देश हैं, वहां जो गैर मुसलमान अल्पसंख्यक हैं उनकी क्या दशा है. उनको अगर सरकार इज्जत की जिंदगी देना चाहती है तो इसमें क्या बुराई है.


न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में इसके साथ ही उन्होंने कहा, "मैं तो प्रधानमंत्री जी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं इस फैसले पर. मुसलमानों को इससे कोई खतरा या किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने वाली है. बेकार में पैनिक करके कोई फायदा नहीं है." 


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कौसर जहां ने इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी शेयर किया. इसमें उन्होंने कहा, "सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2019 जिसके मुतल्लिक मुसलमानों में बेचैनी पैदा हो रही है. कई जानिब से इसके खिलाफ भी बयान आ रहे हैं. हाल ही में हुकुमत-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट जारी किया है जिसमें कि दावा किया गया है कि सीएए नागरिकता देने का कानून न कि खत्म करने का. इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि सरकार ने एनआरसी लाने की न ही कोई बात की है और न ही फिलहाल ऐसा कोई इरादा जाहिर किया है."






दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष ने कहा, "हम मुसलानों को बिल्कुल भी घबराने की कोई जरूरत नहीं है. ऐसा कोई गैर मुनासिब कदम न उठाएं जिससे की आपको परेशानी हो जाए." 


बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इसके लिए पोर्टल भी तैयार है. इस पोर्टल पर नागरिकता पाने के लिए आवेदन किया जा सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार तीन मुल्कों के गैर-मुस्लिम (अल्पसंख्यकों) को भारत की नागरिकता देने के लिए कानून को लागू करने की तैयारी कर चुकी थी. बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. 


सीएए के तहत इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान शामिल है.संसद के दोनों सदनों से सीएए 11 दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था. 


इसके एक दिन बाद राष्ट्रपति की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई थी. ध्यान दें, यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए वहां के अल्पसंख्यकों को इस कानून के जरिए यहां भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. ऐसी स्थिति में आवेदनकर्ता को साबित करना होगा कि वो कितने दिनों से भारत में रह रहे हैं. उन्हें नागरिकता कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा.


सीएए को काफी पहले ही लागू कर दिया जाता, लेकिन कोरोना की वजह से इसमें देरी हो गई. वहीं, इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी संकेत दे दिए थे कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू कर दिया जाएगा.