Citizenship Amendment Act: देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू कर दिया गया है. सोमवार (11 मार्च) को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई. सीएए लागू होने के बाद दिल्ली के शाहीन बाग में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. शाहीन बाग में सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया. दिल्ली के कई इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई गई है. बता दें कि शाहीन बाग सीएए के विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया था. यहां महीनों तक इसके विरोध में सड़क जाम कर दिया गया था. 


दिल्ली पुलिस की साइबर विंग अलर्ट


इस बीच दिल्ली पुलिस की साइबर विंग अलर्ट पर है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर  देशभर की सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की नजरें हैं. सीएए लागू होने के मद्देनजर एंटी सोशल एलीमेंट सोशल मीडिया के जरिए एंटी इंडिया प्रोपेगैंडा न फैलाए, झूठी और भ्रामक पोस्ट न शेयर करे, इसके लिए दिल्ली एनसीआर समेत देश भर की इंटेलिजेंस विंग पुलिस अलर्ट और मुस्तेद हैं. किसी तरह की झूठी अफवाह न फैलने दी जाए और ऐसा करने वालो पर पैनी नजर रखी जाए, इसके लिए एजेंसियां अलर्ट मोड में आ गई हैं.


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  • सीएए  लागू होने से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.  

  • सीएए को दिसंबर, 2019 में संसद में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे.  

  • यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित किया जाना बाकी था, लेकिन अब रास्ता साफ हो गया है.  

  • संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए अन्यथा सरकार को लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों से अवधि में विस्तार करने की मांग करनी होगी.  

  • आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी.  

  • आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. 

  • आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. 

  • 27 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए को लागू होने से को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है.  

  • पिछले दो सालों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं.