Constipation Treatment: मौजूदा समय में कब्ज आम समस्या हो गई है. एक अनुमान के मुताबिक 20 से 30 फीसदी व्यस्क आबादी कब्ज से ग्रसित है. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में कब्ज जैसी जटिल समस्या का इलाज किया गया है. अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज, इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर के चेयरमैन डॉक्टर प्रोफेसर अनिल अरोड़ा ने बताया है कि हाल ही पुरानी कब्ज जैसी समस्या के 180 मरीजों का अस्पताल में इलाज बायोफीडबैक थेरेपी यानी बैलून से किया गया.


सर गंगा राम अस्पताल की बड़ी उपलब्धि


डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक सर गंगा राम अस्पताल में 180 मरीज पुरानी कब्ज की समस्या के साथ भर्ती हुए थे. मरीजों में 11 से 86 वर्ष और औसतन 49 साल के 80 फिसदी पुरुष शामिल हैं. डॉक्टरों ने अलग-अलग मरीजों में अलग-अलग लक्षण देखे. 98 फीसदी मरीजों में मल की अपूर्ण निकासी, 87 फीसदी मरीजों में शौच पर अत्यधिक दबाव जैसी समस्या देखने को मिली. 88 फीसदी मरीजों में जांच के दौरान पाया गया कि उन्होंने पहले से ही कोलोनोस्कोपी करवा ली थी ताकि कब्ज के कारणों का पता लगाया जा सके और जांच के दौरान 56 फीसदी मरीजों में पता लगा कि डिस्सिनर्जिया नामक एनोरेक्टल फंक्शन का समन्वय मौजूद है.


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कब्ज का बायोफीडबैक थेरेपी से इलाज


डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि पुरानी कब्ज की बीमारी की जांच के दौरान पता लगा कि अधिकतर मरीजों को शौच के दौरान कई समस्याएं आ रही हैं. 15 फीसदी मरीजों में समस्या देखने को मिली कि शौच के समय आंतों की चाल सुस्त और मल का रास्ता समय पर नहीं खुलता. अधिकतर वयस्क मरीजों में समस्या देखने को मिली. 180 मरीज समस्याओं के साथ अस्पताल में भर्ती कराए गए थे और सब मरीजों की जांच के बाद इलाज बायोफीडबैक थेरेपी यानी बैलून से पुरानी कब्ज का इलाज किया गया. बायोफीडबैक थेरेपी तकनीक कब्ज वाले मरीजों में अत्यंत प्रभावी है और इसके बेहद ही सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं.


पार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ हरि ने बताया कि बायोफीडबैक थेरेपी में गुब्बारे का उपयोग किया जाता है और कंप्यूटर की सहायता से एक सॉफ्टवेयर के जरिए मरीज का इलाज होता है. इसके अलावा डॉक्टर अरोड़ा ने बताया कि पिछले 2 वर्षों में डिस्सिनर्जिया (बड़ी आंत और मल द्वार के बीच में तालमेल की कमी) के 72 मरीजों ने अस्पताल के केंद्र में बायोफीडबैक थेरेपी की है. बायोफीडबैक थेरेपी से इलाज में 70 फीसद की सफलता दर देखी गई और अधिकतर मरीजों में थेरेपी के बाद दस्त जैसी समस्या में भी सुधार देखने को मिला. 82 फीसदी छोटी उम्र के मरीजों में दस्त की समस्या से निजात दिलाने के लिए थेरेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया.


डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि कब्ज जैसी समस्या पर बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी मरीजों की दिक्कतों को दिखाया गया है. अभिनेता अमिताभ बच्चन की फिल्म पीकू में भी एक व्यक्ति लंबे समय से कब्ज की समस्या से जूझ रहा था. उसकी पीड़ादायक स्थिति और भावनाओं को फिल्म के जरिए दिखाया गया.


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