सीबीएसई ने इस बार परीक्षा का पैटर्न बदलते हुए परीक्षाओं को दो भागों में आयोजित करने का नियम जारी किया है. इसी क्रम में टर्म वन के पेपर चल रहे हैं जोकि ऑब्जेक्टिव टाइप हैं और टर्म टू के पेपर जोकि सब्जेक्टिव होंगे और पहले की ही तरह आयोजित किए जाएंगे, मार्च में संपन्न होंगे.
इसी के तहत अगला नियम यह भी था कि ऑब्जेक्टिव प्रश्नों के पेपर टीचर्स उसी दिन चेक करेंगे जिस दिन परीक्षा होगी. दिल्ली के एक स्कूल में हिंदी टर्म वन पेपर की चेकिंग के दौरान सीबीएसई की तरफ से हुई एक गलती सामने आई. यहां दसवीं का हिंदी का पेपर चेक करते समय एक टीचर को गड़बड़ी का अंदेशा हुआ.
क्या था मामला –
टाइम्स न्यूज नेटवर्क की खबर के मुताबिक दिल्ली के एक स्कूल के टीचर को हिंदी का पेपर चेक करते वक्त ऐसा लगा कि इतने सारे स्टूडेंट्स ने इतना खराब प्रदर्शन कैसे किया है कहीं कोई गलती तो नहीं है. तभी उन्हें पता चला कि सीबीएसई ने हिंदी पेपर की जो आंसर-की भेजी थी जिसके आधार पर टीचर पेपर चेक कर रहे थे, वह गलत थी.
बढ़े अंक –
जब गलत आंसर-की के आधार पर हिंदी पेपर चेक हो रहा था जिसका अंदेशा किसी को नहीं था तो स्टूडेंट्स के 40 में से 11 और अधिकतम 15 अंक आ रहे थे. एक प्राइवेट स्कूल के टीचर ने जब देखा कि पूरे बंडल में अधिकतम अंक 15 हैं तो उन्हें कुछ शक हुआ. तब तक उनके कोऑर्डिनेटर ने बताया कि आंसर-की गलत है और नई आंसर-की प्रोवाइड करायी.
नई आंसर-की मिलने के बाद स्टूडेंट्स के अंकों में बढ़ोत्तरी हुई और जिनके 40 में 11 अंक थे उनके 40 में 39 अंक तक हो गए.
फिर से हुआ इवैल्युएशन –
आंसर-की की समस्या सामने आने पर टीचर्स ने फिर से कॉपियां चेक की और स्टूडेंट्स को सही अंक दिए. इस बारे में सीबीएसई की तरफ से कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है.
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