दिल्ली: देश भर में मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के निर्धारण के लिए 8 लाख रुपये वार्षिक आय सीमा के मौजूदा मानदंड को बरकरार रखने का निर्णय लिया है. बता दें कि सरकार ने शुक्रवार को दायर एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, जब एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के छात्रों के लिए कॉलेजों का प्रवेश और आवेदन आवंटन जारी है ऐसे वक्त में मानदंड बदलना मुश्किलें पैदा कर सकता है.
नवंबर में हुई सुनवाई में कही गई थी ये बात
वहीं नवंबर में हुई इसकी पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता सरकार की ओर से पेश हुए थे, उन्होंने कहा था कि, मौजूदा आय मानदंडों पर फिर से विचार किया जाएगा और चार हफ्तों के अंदर इस पर फैसला ले लिया जाएगा. सरकार ने पहले तर्क दिया था कि ₹ 8 लाख वार्षिक आय मानदंड संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के अनुरूप था.
जूनियर डॉक्टरों ने किया का विरोध
हालांकि, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इससे सहमत नहीं जताई थी. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि, "आपके पास कुछ जनसांख्यिकीय या सामाजिक-आर्थिक डेटा होना चाहिए. आप सिर्फ 80 लाख के आंकड़े को हवा से नहीं निकाल सकते. बता दें कि पिछले हफ्ते दिल्ली में जूनियर डॉक्टरों ने नीट काउंसलिंग और दाखिले में देरी का विरोध किया था.
सरकार को दी थी चेतावनी
डॉक्टरों ने सरकार पर इस मुद्दे पर अपने पैर खींचने का आरोप लगाया और देश की स्वास्थ्य सेवा के लिए गंभीर परिणामों की चेतावनी दी था. वहीं जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया विशेषज्ञ समिति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधन रिपोर्ट पेश करने के लिए सहमत हुए उसके बाद ये विरोध रोका गया था.
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