Delhi Ration Doorstep Delivery News: दिल्ली सरकार की घर-घर राशन डिलीवरी योजना (Doorstep Ration Of Delivery Policy) के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. उसने दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच को इस बारे में बताया है. गौरतलब है कि घर-घर राशन डिलीवरी योजना दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच सियासत का मुद्दा बन चुका है. दोनों सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का मामला देखा गया है.


उप-राज्यपाल अनिल बैजल की तरफ से योजना को हरी झंडी नहीं मिलने के बाद मामला काफी गरमा गया था. मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना था कि अगर पिज्जा, बर्गर और स्मार्ट फोन की होम डिलीवरी हो सकती है तो फिर राशन की क्यों नहीं. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट से केजरीवाल सरकार को उचित मूल्य की दुकानों में राशन की कमी नहीं होने पर राशन डिलीवरी की इजाजत मिल चुकी है. जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच को केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के 27 सितंबर के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट जाने की जानकारी दी.


हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने और डोरस्टेप डिलीवरी का विकल्प चुनने वाले लाभार्थियों के हिसाब से एफपीएस को दी जा रही आपूर्ति में कटौती करने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा था कि डोरस्टेप डिलीवरी मॉडल कार्ड होल्डर के लिए वैकल्पिक था और एफपीएस के जरिए राशन वितरण प्रणाली में वापस जाने का विकल्प चुन सकते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को इस सिलसिले में संशोधन के लिए आवेदन दाखिल करने की जानकारी दी, जिसमें अदालत ने एफपीएस डीलर्स को विस्तार से कार्ड होल्डर्स की जानकारी देने का आदेश दिया था. सिंधवी ने कहा कि घर-घर राशन डिलीवरी योजना को नाकाम करने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि हो सकता है योजना के रजिस्टर लाभार्थियों के डेटा का गलत इस्तेमाल किया जा सके.


दिल्ली सरकार की घर-घर राशन डिलीवरी योजना की शुरुआत 25 मार्च को हुई थी, लेकिन खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के फैसले पर 19 मार्च को आपत्ति जताई. दिल्ली सरकार की दलील है कि योजना से खाद्य सुरक्षा कानून का उल्लंघन नहीं होता है. 


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