Delhi News: यमुना नदी में बाढ़ के कारण राष्ट्रीय राजधानी में लोगों की परेशानी के बीच राज निवास सूत्रों ने रविवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीत बाढ़ नियंत्रण और तैयारी संबंधी शीर्ष समिति की गत दो साल में एक भी बैठक नहीं हुई. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि बाढ़ की तैयारियों पर चर्चा के लिए दिल्ली के मंत्रियों आतिशी और सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता में नौ मई को बैठक हुई थी. उसने यह भी कहा कि उचित प्रक्रिया के अनुसार बाढ़ नियंत्रण आदेश जारी किया गया था.
दिल्ली राजनिवास के सूत्रों ने दावा किया कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी बाढ़ आदेश ‘‘आधे-अधूरे’’ थे. राज निवास के सूत्र के मुताबिक, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण उपायों की समीक्षा, सिफारिश, पर्यवेक्षण और समन्वय करने वाली शीर्ष समिति के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस साल जून के अंत में होने वाली समिति की अनिवार्य बैठक की अनुमति नहीं दी, जबकि राजस्व विभाग ने इससे संबंधित फाइल 19 जून को भेजी थी. पिछले साल भी केजरीवाल ने यह बैठक नहीं होने दी थी.’’
बाढ़ की वजह पर बड़ा खुलासा
पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली इस उच्च-अधिकार प्राप्त समिति में दिल्ली सरकार के सभी मंत्री, दिल्ली के सांसद, आम आदमी पार्टी के चार विधायक और मुख्य सचिव के साथ दिल्ली विकास प्राधिकरण, भारतीय सेना के जीओसी और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य जैसे अन्य हितधारक शामिल हैं. स्थिति की समीक्षा करने और हर साल ‘‘बाढ़ नियंत्रण आदेश’’ पारित करने के लिए मानसून की शुरुआत से पहले जून के अंत में किसी भी तारीख को बैठक करने का प्रावधान है. शीर्ष समिति खतरों और अनुमानों को ध्यान में रखती है. बारिश और बाढ़ के संभावित खतरों को देखते हुए तैयारियों का आकलन करती है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सहित विभिन्न विभागों और एजेंसियों के बीच एक सटीक समन्वय तंत्र सुनिश्चित करती है.
राज निवास सूत्रों के मुताबिक मंडलायुक्त जो समिति के संयोजक भी हैं, ने 21 जून को मुख्यमंत्री केजरीवाल से जून के अंतिम सप्ताह में समिति की अनिवार्य बैठक बुलाने के लिए उपयुक्त तारीख और समय बताने का अनुरोध किया था. राजस्व मंत्री आतिशी के माध्यम से वह फाइल मुख्यमंत्री को सौंपी गई. सूत्रों ने यह भी दावा किया कि फाइल 26 जून को आतिशी को इस टिप्पणी के साथ लौटा दी गई थी कि, ‘‘माननीय मुख्यमंत्री की इच्छा है कि माननीय मंत्री (राजस्व) शीर्ष समिति की बैठक बुलाएं’’, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री करते हैं. सूत्रों ने दावा किया, ‘‘उनके विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) ने संभागीय आयुक्त को बाढ़ नियंत्रण आदेश 2023 जारी करने के लिए 30 जून को शाम 6 बजकर 30 मिनट पर प्रमुख सचिव (सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण), जिलाधिकारी (पूर्व दिल्ली) और अन्य अधिकारियों के साथ उनके सम्मेलन कक्ष में एक संक्षिप्त बैठक (शीर्ष समिति की नहीं) करने का निर्देश दिया.’’
कई हितधारकों को बैठक में नहीं बुलाया गया
पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक आरोप लगा है कि आतिशी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सीडब्ल्यूसी के प्रतिनिधियों के अलावा मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त, एमसीडी आयुक्त, दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ और कई अन्य महत्वपूर्ण हितधारक अनुपस्थित रहे और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आतिशी ने उनसे बैठक में मौजूद रहने के लिए ‘‘नहीं कहा’’ था. उन्होंने बताया कि इसके बाद छह जुलाई को बैठक हुई और ‘‘मुख्य हितधारकों को विश्वास में लिए बिना एक आधा-अधूरा बाढ़ नियंत्रण आदेश जारी किया गया.’’ आरोपों का खंडन करते हुए ‘आप’ सरकार ने कहा कि वह मई में ही बाढ़ और जलभराव के मुद्दों की नियमित समीक्षा कर रही थी.
दिल्ली सरकार ने किया दावे का खंडन
इसके उलट दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘नौ मई को सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण मंत्री सौरभ भारद्वाज और लोक निर्माण विभाग मंत्री आतिशी ने संयुक्त रूप से बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पीडब्ल्यूडी, दिल्ली नगर निगम, आई एंड एफसी, दिल्ली जलबोर्ड, दिल्ली विकास प्राधिकरण और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद सहित सभी विभाग मौजूद थे और बाढ़ और जलभराव की तैयारियों की समीक्षा की गई.’’ इसके अलावा, बाढ़ और जलभराव से संबंधित किसी भी मुद्दे को सुलझाने के लिए नियमित अंतरविभागीय बैठकें की गईं. फिर मुख्यमंत्री स्थिति की स्वयं निगरानी करते रहे हैं और दिल्ली के ऐतिहासिक आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए उचित प्रक्रिया के अनुसार 'बाढ़ नियंत्रण आदेश' जारी किया गया था.