Air Pollution In India: पिछले कई दिनों से भारत में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता दिख रहा है. दिवाली के अगले दिन तो हालात इतने बुरे थे कि वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर को पार कर चुका था. ऐसे हालात में पहले से बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर तो खतरा मंडरा ही रहा है बल्कि युवाओं पर भी इसका असर दिख रहा है. आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं आम बात हो चुकी हैं.


बच्चों पर मंडरा रहा है खतरा


वहीं इस माहौल में सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है नौनिहालों पर. यूनीसेफ और डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक नौनिहालों का इम्यून सिस्टम और शारीरिक विकास प्रदूषण के इस हमले को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होता है. ऐसे में नौनिहालों पर वायु प्रदूषण का असर ज्यादा होता है और उन्हें दिक्कत झेलनी पड़ती हैं.


वायु प्रदूषण से होती है ये बीमारियां


रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर कोई बच्चा लंबे वक्त तक हाईलेवल एयर पॉल्यूशन में रहता है तो उसके फेफड़ों पर स्थायी तौर पर बुरा असर होने की आशंका पैदा हो जाती है. ऐसे में युवा अवस्था में इस बच्चे को फेफड़ों से जुड़ी परेशानियों को झेलना पड़ सकता है. ऐसे बच्चों में बड़े होने पर अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारियां होने की ज्यादा आशंका रहती है. यूनीसेफ के मुताबिक, भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में हर साल पांच साल की उम्र के 1.30 लाख बच्चों की मौत का कारण वायु प्रदूषण होता है.


बच्चों की बॉडी में जल्दी फैलते है प्रदूषण के कण


इस रिपोर्ट में एक वैज्ञानिक कारण का भी जिक्र किया गया है. दरअसल छोटे बच्चे, व्यस्कों के मुकाबले ज्यादा तेजी से सांस लेते हैं. एक व्यस्क एक मिनट में 12 से 18 बार सांस लेता है तो एक नवजात एक मिनट में तीस बार सांस लेता है. ऐसे में प्रदूषण के कण ज्यादा तेजी से बच्चों के शरीर में पहुंचते हैं और यहीं नौनिहालों के लिए खतरे का कारण बनता है. ऐसे में ये बच्चे फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों, दिमाग पर असर, आंखों पर असर का सामना करते हैं.


ये भी पढ़ें-


Stubble Burning: हरियाणा की तुलना में पंजाब में ज्यादा जलाई जा रही है पराली, अब तक सामने आए हजारों मामले


Bihar Politics: आज पीड़ित परिवार से मिलेंगे पप्पू यादव, JAP ने कहा- बिहार में जहरीली शराब से मौत की आंकड़ा छुपा रही सरकार